Ghatotkacha Statue in Bali: इंडोनेशिया में मौजूद हैं महाभारत युद्ध से जुड़ी प्रतिमाएं, बाली एयरपोर्ट पर भी है स्टैच्यू

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 21, 2022, 05:02 PM IST

इंडोनेशिया में महाभारत युद्ध से जुड़ी प्रतिमा

Bali: इंडोनेशिया के कई सार्वजनिक स्थानों पर महाभारत से जुड़े पत्रों को चित्रित किया गया है. ऐसा ही एक खास स्टैच्यू बाली एयरपोर्ट के पास भी है.

डीएनए हिंदी: इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश माना जाता है. इसके बावजूद इस देश में हिंदू संस्कृति का असर काफ़ी प्रभावशाली है. यहां लोगों के नाम महाभारत व रामायण के पात्रों से मिलते-जुलते मिल जाएंगे. इसके अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर महाभारत या रामायण से जुड़ी प्रतिमाएं (Statue in Bali) भी आपको देखने को मिल जाएंगी. यहां जकार्ता में महाभारत के अहम किरदार अर्जुन की मूर्ति को तो कई लोग जानते हैं लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं बाली एअरपोर्ट से कुछ ही दूरी पर बने घटोत्कच स्टेच्यू के बारे में जो घटोत्कच और कर्ण युद्ध को दर्शाता है. चलिए जानते हैं इसके बारे में..

बाली एअरपोर्ट के पास महाभारत युद्ध से जुड़ी प्रतिमा (Mahabharata Ghatotkacha-Karna battle Statue Bali, Indonesia) 

बाली जाने वाले लगभग सभी लोगों ने हवाई अड्डे के पास बने घटोत्कच की इस प्रतिमा को जरूर देखा होगा. यह प्रतिमा हवाई अड्डे से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है और हवाई अड्डे पर आने-जाने वाले प्रत्येक वाहन इसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं. बता दें इस मूर्ति में चित्रित पात्र घटोत्कच और कर्ण की है. इंडोनेशियाई हिंदू पौराणिक कथाओं के हर विवरण को याद रखते हैं और उन्हें सार्वजनिक स्थानों या मंदिर परिसरों में खूबसूरती से चित्रित करते हैं. बाली हवाई अड्डे के पास स्थित घटोत्कच और कर्ण की यह मूर्ति इसका एक आदर्श उदाहरण है.

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भारतीय घटोत्कच को शायद ही जानते हैं लेकिन बाली के लोग उन्हें एक वफादार, सम्मानित और मेहनती व्यक्ति के रूप में  देखते हैं और सम्मान देते हैं. इंडोनेशिया में कई मंदिरो सार्वजनिक स्थानों पर महाभारत और रामायण के कई पत्रों को चित्रित किया गया है. जहां हिंदू संस्कृति की गहरी छाप देखने को मिलती है. 

कौन था घटोत्कच

महाभारत के अनुसार घटोत्कच भीम और हिडिंबा का बेटा था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वो पैदा होने के साथ ही जवान हो गया था जिसका शरीर बहुत ही विशालकाय था. वास्तव में घटोत्कच ही पांडवों का ज्येष्ठ पुत्र था लेकिन वह एक राक्षस भी था. ऐसे में प्रजा के हित को ध्यान में रखते हुए उसे कभी भी हस्तिनापुर का राजा नहीं बनाया जा सकता था. इसके बाद वह अपने पिता के पक्ष में कौरवों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अंत में वीरगति को प्राप्त हुआ.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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