Mahashivratri 2023: कल महाशिवरात्रि पर है भद्रा का साया, जानें किस मुहूर्त में करें शिव पूजन

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Feb 17, 2023, 07:29 AM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

महाशिवरात्रि पर कल भद्रा होने के कारण इस दिन के पूजा मुहूर्त और नियम के बारे में जानते हैं. 18 फरवरी को प्रदोष और महाशिवरात्रि दोनो ही व्रत होंगे.

डीएनए हिंदी: महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का पर्व इस कल यानी साल 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा. इस साल महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया (Bhadra Ka Saaya) भी रहने वाला है. भद्रा (Bhadra) को अशुभ माना जाता है. ऐसे में महाशिवरात्रि पर भद्रा होने के कारण इस दिन के पूजा मुहूर्त और नियम के बारे में जानते हैं. 18 फरवरी को प्रदोष और महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का व्रत रखा जाएगा. चलिए भद्रा का साया (Bhadra Ka Saaya) होने के कारण महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) पर व्रत और पूजा के नियमों के बारे में जानते हैं.

महाशिवरात्रि भद्रा प्रभाव का समय (Mahashivratri 2023 Bhadra Timing)
महाशिवरात्रि पर भद्रा 18 फरवरी की शाम को 8 बजकर 2 मिनट पर हो रही है. यह भद्रा अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 6 बजकर 56 मिनट तक रहेगी.

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महाशिरात्रि 2023 तिथि और श्रवण नक्षत्र (Mahashivratri 2023 Thithi And Shravan Nakshatra)
महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस तिथि की शुरूआत 18 फरवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट पर होगी. यह तिथि 19 फरवरी को 4 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि मुहूर्त के अनुसार मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र भी है यह नक्षत्र महाशिवरात्रि पर शाम 5 बजे से 42 मिनट तक रहेगा.

पाताल की भद्रा (Patal Lok Bhadra)
महाशिवरात्रि पर पाताल लोक की भद्रा पड़ रही है. इस दिन पड़ने वाली भद्रा का स्थान पाताल लोक में होगा. भद्रा का समय महाशिवरात्रि पर रात को 8 बजकर 2 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. शास्त्रों के अनुसार पाताल लोक की भद्रा का प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं पड़ता है. यह सिर्फ तभी अशुभ होती है जब पृथ्वी लोक पर होती है. पाताल लोक की भद्रा के कारण चिंता की कोई बात नहीं है. भगवान शिव को स्वयं महाकाल कहा जाता है. कालों के काल महाकाल पर भद्रा और राहुकाल का कोई भी असर नहीं होता है. भगवान शिव की कालसर्प दोष को दूर करने के लिए राहुकाल में पूजा की जाती है. आप विधिपूर्वक आसानी से महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा कर सकते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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