Mahashivratri 2023: इस तिथि पर और यहां हुआ था शिव जी का विवाह, जानें क्या कहता है शिव महापुराण

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 15, 2023, 11:20 AM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Mahashivratri: महाशिवरात्रि पर शिव विवाह को लेकर विद्वानों में कई तरह के मतभेद हैं. शिव विवाह के बारे में शिव महापुराण में विस्तार से बताया गया हैं.

डीएनए हिंदी: महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का पर्व इस साल 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवात्रि (Mahashivratri 2023) के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह (Shiv Parvati Wedding) हुआ था. पौराणिक कथाओं की माने तो फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का विवाह हुआ था. हिंदू धर्म में भगवान शिव के भक्त इसी दिन को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) के रूप में मनाते हैं. हालांकि महाशिवरात्रि पर्व और भगवान शिव जी की शादी को लेकर विद्वानों में कई तरह के मतभेद भी हैं. शिव विवाह के बारे में शिव महापुराण (Shiv Mahapuran) में विस्तार से बताया गया है. तो चलिए शिव महापुराण (Shiv Mahapuran) के अनुसार, शिव विवाह से जुड़ी खास बातों के बारे में जानते हैं. 

इस दिन हुआ था शिव-पार्वती विवाह
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिव विवाह हुआ था इसलिए इस दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है. हालांकि शिव पुराण की रुद्र संहित के अनुसार, शिव  जी का विवाह मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था. ग्रंथों के अनुसार, शिव-पार्वती विवाह उत्तराखंड के केदारनाथ स्थित त्रियुगीनारायण में संपन्न हुआ था. इस जगह पर आज भी शिव विवाह के प्रमाण मिलते हैं. 

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महाशिवरात्रि मनाने के पीछे ये है वजह
शिव पुराण की ईशान संहिता के अनुसार, फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव ने करोड़ों सूर्य के समान प्रभाव वाले ज्योतिलिङ्ग रूप में प्रकट हुए थे. महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं. 

महाशिवरात्रि का महत्व (Mahashivratri 2023 Significance)
मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिव जी निराकार से साकार रूप में आए थे. सृष्टि के पहले कल्प में ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने ज्योतिर्मय के स्तम्भ की पूजा की थी. उन्होंने ज्योतिर्मय के स्तम्भ रातभर पूजा की थी. ऐसी मान्यताएं है कि यह ज्योतिर्मय का स्तम्भ महाशिवरात्रि तिथि को ही प्रकट हुआ था. महाशिवरात्रि पर शिव पूजा करने से पुण्य फलों की प्रप्ति होती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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