भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग (Shivling Jalabhishek) पर जलाभिषेक किया जाता है. इससे महादेव प्रसन्न होने के साथ ही व्यक्ति की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं. भगवान शिव को मनाने और उनकी कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बेहद खास माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश से धरती पर भ्रमण करने के लिए आते हैं. महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) पर महादेव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने व जलाभिषेक करने से पाप कट जाते हैं. सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि पर व्रत करने के साथ ही रुद्राभिषेक का भी (Rudraabhishek Ke Niyam) विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करने से भगवान शिव और मां पार्वती प्रसन्न होती हैं. लेकिन इस दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अनजाने में भी गलती से होने नुकसान होता है. आइए जानते हैं शिवजी की पूजा के नियम और मान्यताओं के बारे में...
जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करते समय रखें इन बातों का ध्यान
रुद्राभिषेक या जलाभिषेक (Rudra Abhishek Niyam) करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. इनमें सबसे जरूरी दिशा का ध्यान रखना है. शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय दक्षिण दिशा की तरफ खड़े होना चाहिए. उत्तर दिशा की तरफ मुख कर शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए. इसकी वजह उत्तर दिशा को देवी देवताओं का माना जाना है. इस दिशा में मुख करके जलाभिषेक करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
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मंत्र जाप के साथ करें लोटे का उपयोग
शिवलिंग पर धीरे धीरे जल अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही शिव के मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ होता है. शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए कांसे, चांदी और पीतल के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए. तांबे या स्टील के लोटे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
इस दिशा की तरफ खड़े होकर न करें जलाभिषेक
भगवान शिवजी को जलाभिषेक करते समय दिशा का खास ध्यान रखें. पूर्व दिशा की तरफ खड़े होकर जलाभिषेक नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही पश्चिम दिशा की ओर खड़े होकर शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए.
शिवलिंग पर अर्पित न करें ये चीजें
शिवलिंग पर तुलसी और हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए. इन दोनों ही चीजों को भगवान शिव या फिर शिवलिंग पर अर्पित करने से दोष लगता है. इससे भगवान शिव नाराज हो जाते हैं.
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शिवलिंग की न करें पूरी परिक्रमा
जिस तरह से पूजा के बाद परिक्रमा को बेहद शुभ माना जाता है, वैसा महादेव की शिवलिंग के साथ भी है, लेकिन महादेव की शिवलिंग की पूजा के बाद पूरी परिक्रमा नहीं लगानी चाहिए. परिक्रमा करते समय इसे लांघना नहीं चाहिए. यह बेहद अशुभ माना जाता है. परिक्रमा के दौरान जहां से शिवलिंग से जल प्रवाहित होता है. उसे जलधारी या सोमसूत्र कहा जाता है. परिक्रमा के दौरान इसे नहीं लांघना चाहिए. जलधारी में माता पार्वती, भगवान गणेश, शिव पुत्री अशोक सुंदरी और कार्तिकेय का वास होता है. इन्हें लांघने से भगवान शिव और माता पार्वती नाराज हो जाते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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