Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति के दिन ही खुलता हैं ये मंदिर, दर्शन के लिए म्यूजियम से लाते हैं मूर्ति

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 15, 2023, 10:42 AM IST

मकर संक्रांति के दिन ही खुलता है ये मंदिर दूर-दूर से दर्शन के लिए पहुंचते हैं भक्त

Makar Sankranti 2023: मध्य प्रदेश में मौजूद यह मंदिर मकर संक्रांति के मौके पर खुलता हैं. हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

डीएनए हिंदी: आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक रहस्यमयी किले मौजूद मंदिर (Temple) के बारे में बताने वाले हैं. यह मंदिर साल में केवल एक बार ही खुलता है. यहां पर दर्शन के लिए दूसरे शहर से मूर्ति लेकर आते हैं. इस मंदिर को अजयपाल बाबा के मंदिर (Ajaypal Baba Temple) के नाम से जाना जाता है. अजयपाल बाबा (Ajaypal Baba) यहां के स्थानीय लोगों के देवता हैं. मध्य प्रदेश का यह मंदिर पन्ना जिले के अजयगढ़ किले (Ajaygarh Fort) में मौजूद हैं. अजयपाल बाबा का यह मंदिर मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के विशेष मौैके पर खुलता है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के मौके पर यहां मेला लगता है. हजारों की संख्या में भक्त बाबा अजयपाल (Ajaypal Baba) के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. 

म्‍यूजियम से लाते हैं भगवान अजयपाल बाबा की मूर्ति (Statue of Lord Ajaypal Baba)
मकर संक्रांति के मौके पर जब यह मंदिर खुलता है तो दर्शन के लिए भगवान अजयपाल बाबा की मूर्ति को रीवा के पुरात्तव संग्रहालय से लाया जाता है. भगवान अजयपाल बाबा की मूर्ति को रीवा के म्‍यूजियम में संभाल कर रखा हुआ हैं. मकर संक्रांति पर भक्त अजयपाल बाबा के दर्शन करके उनसे मन्नत मांगते हैं. मकर संक्रांति के बाद बाबा की मूर्ति को वापस रीवा के संग्रहालय में रख दिया जाता है. हालांकि आजतक लोगों को इस परंपरा के पीछे की वजह के बारे में पता नहीं है कि ऐसा क्यों किया जाता है. 

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संतान प्राप्ति के लिए करते हैं प्रार्थना
भगवान अजयपाल के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं. निसांतन दंपत्ति के प्रार्थना करने से उनकी मुराद पूरी होती है. भक्त मंदिर के सामने स्थित तालाब में स्नान करते हैं और बाबा के दर्शन कर इन्हें रोट का भोग लगाते हैं. रोट देशी घी में बनाई गई मोटी रोटी होती है. भगवान अजयपाल बाबा को रोट चढ़ाने की परंपरा है.

रहस्यों से भरा है अजयगढ़ किला 
मध्य प्रदेश में मौजूद अजयगढ़ किला कई रहस्यों से भरा हुआ है. यह माना जाता है कि यहां पर चंदेल राजाओं का खजाना आज भी मौजूद है. इस खजाने को कई बार ढूंढने की कोशिश की गई है. हालांकि आज तक इस खजाने को खोजने में कोई सफल नहीं हुआ है. औरंगजेब ने यहां पर खजाने का पता लगाने के लिए मूर्ति को तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन मूर्ति कुंड में गिरकर विलुप्त हो गई थी. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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