Makar Sankranti: मां गंगा, भगीरथ और राजा सगर के पुत्रों से जुड़ा है मकर संक्रांति का पर्व, जानिए क्या है इतिहास व पौराणिक कथा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 03, 2023, 11:14 AM IST

मां गंगा, भगीरथ और राजा सगर के पुत्रों से जुड़ा है मकर संक्रांति का पर्व

Makar Sankranti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व मां गंगा, राजा भगीरथ और राजा सगर के पुत्रों से जुड़ा है, जानिए क्या है इतिहास 

डीएनए हिंदी: History And Pauranik Katha of Makar Sankranti- सनातन धर्म में मकर संक्रांति का खास महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूर्य देव (Surya Dev) धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. यह त्योहार हर साल जनवरी के महीने में 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन से खरमास (Kharmas) खत्म हो जाता है और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करने और दान (Ganga Snan- Daan) करने का विशेष महत्व है. इस पर्व को अलग-अलग राज्यों में अलग अलग रूप में मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग अपने-अपने घरों में गुड़ और तिल के लड्डू बना कर इस पर्व को मनाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इसका इतिहास क्या है? अगर नहीं तो आज हम आपको बता रहे हैं, क्या है इस पर्व का इतिहास और पौराणिक कथा.

मकर संक्रांति का इतिहास और पौराणिक कथा (Makar Sankranti Pauranik Katha) 

इस पर्व को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, इनमें से सबसे प्रसिद्ध मां गंगा, राजा भगीरथ और राजा सगर के पुत्रों से जुड़ी है. कहा जाता है कि राजा सगर के पुत्रों ने कपिल मुनि पर भगवान इंद्र के घोड़े चोरी करने का झूठा आरोप लगाया था जिससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को श्राप दिया और वे जलकर भस्म हो गए थे. जब यह बात राजा सगर तक पहुंची तो उन्होंने कपिल मुनि से क्षमा मांगी और उनकी क्षमा याचना पर कपिल मुनि ने उन्हें एक उपाय सुझाया. उन्होंने कहा कि आपको कैसे भी करके पृथ्वी पर मां गंगा को लाना होगा.

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पृथ्वी पर मां गंगा को लाने के लिए राजा सगर के पोते अंशुमान और उनके बाद राजा भगीरथ ने कड़ी तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर मां गंगा प्रकट हुईं. तब उन्होंने मां गंगा से कपिल मुनि के आश्रम तक आने का अनुरोध किया. मां गंगा ने यह बात स्वीकार कर लिया और सगर पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया. कहा जाता है कि जिस दिन राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी उस दिन मकर संक्रांति थी.

मकर संक्रांति का महत्व ( Makar Sankranti Mahatva)

मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी या पवित्र नदी में स्नान करते हैं उसके सारे पाप धुल जाते हैं. इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था और इसी दिन सूर्य देवता अपने पुत्र शनि देव से मिलने गए थे. इसके अलावा इस दिन भीष्म पितामह को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. सनातन धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार को बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन से ही भारत में किसान अपनी फसल काटते हैं.

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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

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