Mangalsutra Tradition: शादी के बाद महिलाएं क्यों पहनती हैं मंगलसूत्र, जानिए इसकी वजह, महत्व और हिंदू धर्म में इसकी मान्यता

Written By नितिन शर्मा | Updated: Apr 26, 2024, 12:13 PM IST

पीएम मोदी ने अपने भाषण के बीच मंगलसूत्र (Mangal Sutra) का जिक्र किया. इसके बाद से ही मंगलसूत्र पर चर्चा में आ गया है. ऐसे में जानते हैं कि हिंदू धर्म में मंगलसूत्र कितना जरूरी है. महिलाएं इसे क्यों पहनती हैं और इसका क्या महत्व है.

Mangal Sutra Tradition And Importance: शादी के बाद महिलाओं के 16 श्रृंगार में सबसे जरूरी चीजों में से एक मंगलसूत्र है. हिंदू धर्म में इसका खास महत्व है. शादी के तुरंत बाद महिलाएं काले मोती और पीली वस्तु या धातु से बने मंगलसूत्र को धारण करती हैं. यह न सिर्फ महिलाओं की खूबसूरती बढ़ाता है बल्कि ये सुहाग का प्रतीक भी है. मंगलसूत्र दो शब्दों से मिलकर बना है. इसमें मंगल का अर्थ पवित्र से हैं. वहीं सूत्र का अर्थ हार से है यानी पवित्र हार. पति की लंबी उम्र और जीवन की रक्षा के लिए मंगलसूत्र पहनना जरूरी है. यह संपन्नता का प्रतीक है. आइए जानते हैं इसकी मान्यता, महत्व और कब से शुरू हुआ...

भगवान शिव ने माता पार्वती को पहनाया मंगलसूत्र 

शास्त्रों की मानें तो हिंदू धर्म में मंगलसूत्र पहनाने की शुरुआत भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से हुई थी. भगवान शिव जब माता पार्वती से विवाह कर रहे थे. तब उन्हें माता सती की याद आ रही थी. साथ ही माता सती के पिता के घर में जाकर आग में भस्म होने का दृश्य सामने आ रहा था. इस पर भगवान शिव ने माता पार्वती को पीले धागे में काले मोतियों का एक रक्षा सूत्र बांधा था. इसका पीला भाग माता पार्वती और काले मोती भगवान शिव और शनि के प्रतीक हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसे भगवान शिव ने माता पार्वती को किसी भी तरह के अपशुगन से बचाने के लिए किया था, जिसे मंगलसूत्र के रूप में जाना जाने लगा.​ हिंदू धर्म में यह परंपरा बन गई. 

मंगलसूत्र की ये हैं धार्मिक मान्यताएं

हिंदू धर्म में मान्यता है कि शादी के बाद पति की लंबी उम्र और सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं मंगल सूत्र पहनती हैं. यह पति पत्नी के रिश्ते को बुरी बनजर से बचाता है. मंगलसूत्र का खोना, टूटना बहुत बड़ा अपशगुन माना जाता है. हिंदू धर्म में ज्यादातर महिलाएं इसे शादी के बाद हमेशा पहनकर रखती हैं. 
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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