Manikaran : हिमाचल के Kullu की इस घाटी में फटे बादल, इन दो धर्मों का है प्रमुख तीर्थ-स्थल

| Updated: Jul 06, 2022, 12:48 PM IST

Manikaran in Himachal Pradesh : हिन्दू और सिख धर्म के तीर्थ स्थल के अतिरिक्त मणिकर्ण घूमने वालों/ पर्वतारोहियों के लिए भी बेहद लोकप्रिय है. आइए जानते हैं मणिकर्ण क्यों धार्मिक लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है? 

डीएनए हिंदी : सिख धर्म का प्रसिद्द तीर्थ स्थल मणिकर्ण साहिब (Manikaran in Himachal Pradesh) इस वक़्त ख़बरों में है. पार्वती वैली में स्थित यह सुन्दर तीर्थस्थल इस वक़्त प्रकृति के कहर से गुज़र रहा है.  मणिकर्ण घाटी (Manikaran Cloud Burst) के चोज गांव में भारी नुकसान होने की खबर आई है. कहा जा रहा है कि बादल फटने की वजह से चोज गांव में 3 मकान  और 2 कैंपिंग साइट बह गए हैं. इसके अलावा यहां के 4 लोग लापता बताए जा रहे हैं.  हिन्दू और सिख धर्म के तीर्थ स्थल के अतिरिक्त मणिकर्ण घूमने वालों/ पर्वतारोहियों के लिए भी बेहद लोकप्रिय है. आइए जानते हैं मणिकर्ण क्यों धार्मिक लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है? 

हिंदू धर्म के अनुसार मनु से जुड़ते हैं Manikaran के तार 
हिन्दू धर्म मतावलम्बियों का मानना है कि प्रलय के बाद मणिकर्ण में ही मनु ने इंसानों की रचना की थी. इस लिहाज़ से यह जगह बेहद पवित्र मानी  जाती है. पूरी घाटी में कई मंदिर हैं. इनमें राम, कृष्ण और विष्णु के मंदिर प्रमुख हैं.  

सिखों का प्रमुख धर्मस्थल है Manikaran Sahib
मणिकर्ण साहिब को सिखों के सबसे मौजू तीर्थस्थलों में एक माना जाता है. किंवदंतियों के अनुसार अपनी गुरुनानक देव अपनी तीसरी उदासी के वक़्त इस जगह आए थे. उनके साथ उनके शिष्य भाई मर्दाना भी थे. भूख लगने पर गुरु नानक देव ने मर्दाना को लंगर के लिए खाना लाने भेजा. कई लोगों ने आटा दिया पर चूल्हा जलाने के लिए आग नहीं थी.  

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कहा जाता है कि नानक देव ने एक पत्थर ज़मीन पर माना और वहां से गर्म पानी का सोता फूट पड़ा. नानक देव के कहे के मुताबिक सोते के पास बनी हुइ चपातियां लेकर गये पर वे सारी डूब गईं. गुरु नानक ने मर्दाना से कहा कि वे भगवान का नाम लें और उनका नाम लेने पर चपातियां वापस आ जाएंं तो एक चपाती दान करेंगे. नांक देव ने वहां सीख दी कि अगर कोई भगवान के नाम में दान देता है तो उपरवाला उसके डूबी हुई चीज़ भी वापस कर देता है. 

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