डीनए हिंदीः अगहन मास (Aghan Maas) को ही मार्गशीर्ष (Margashirsha Month,) भी कहते हैं. धार्मिक दृष्टि (Astrological Significance) से इस महीने का विशेष महत्व है और इस महीन में हिंदू धर्म के बहुत से तीज-त्योहार (Festival) आते हैं. विवाह के लिए ये महीना बेहद शुभ होता (Auspicious for Marriage) है और इस मास में शंख पूजा (Conch Worship) जरूर करनी चाहिए. बता दें कि इस महीने में मार्यादा परुषोत्तम भगवान श्रीराम और देवी सीता का विवाह (Bhagwan Shri Ram Devi Sita Marriage) भी हुआ था.
मार्गशीर्ष यानी अगहन महीना श्रीकृष्ण और विष्णु पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इस महीने में शंख पूजा, नदी स्नान, दान, भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व है. अगहन महीने में श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और पुण्य प्राप्त होता है. इसी मास में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश (Shri Krishna Preaching Gita to Arjuna This Month) दिया था.
अगहन का महीना हिंदू पंचांग का नौवां महीना होता है. इस बार अगहन मास की शुरूआत 9 नवंबर दिन बुधवार से हो रही है. अगहन का महीना अगले महीने 8 दिसंबर दिन गुरुवार तक रहेगा. इस महीने में कई प्रमुख त्योहार आदि भी होंगे. चलिए जानें अगहन मास को क्यों इतना खास माना जाता है.
अगहन को मार्गशीर्ष क्यों कहते हैं?
हिंदू पंचांग में 12 महीने बताए गए हैं. इनमें से सिर्फ नौवें महीने यानी अगहन का ही एक अतिरिक्त नाम भी है. अगहन मास का एक नाम मार्गशीर्ष भी है क्योंकि इस महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है. मृगशिरा से ही मार्गशीर्ष नाम बना है. इस महीने को भगवान श्रीकष्ण का महीना भी कहा जाता है.
इस महीने में मनाए जाएंगे ये व्रत त्योहार
अगहन मास में वैसे तो कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही खास है, जैसे कालभैरव अष्टमी, उत्पन्ना एकादशी, विवाह पंचमी, नंदा सप्तमी, मोक्षदा एकादशी और अनंग त्रयोदशी. इनके अलावा महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर दत्त जयंती का पर्व मनाया जाता है.
इस माह शंख की पूजा का महत्व
कहा जाता है कि हर एक महीनों में किसी विशेष भगवान की पूजा और अर्चना करने से वे जल्दी खुश हो जाते हैं. अगहन में शंख की पूजा का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस माह में शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है.
भगवान श्रीराम का विवाह हुआ था इसी महीने में
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, त्रेतायुग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम और देवी सीता का विवाह हुआ था. इसके अलावा इस महीने में मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इन 2 कारणों से भी इस महीने का विशेष महत्व है.
श्रीकृष्ण ने स्वयं बताया है इस महीने का महत्व
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् .
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः
इस श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को मार्गशीर्ष महीना बताया है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस पवित्र मास में गंगा, युमना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से रोग, दोष और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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