Pitra Dosh: कुंडली में पितृदोष का क्या मतलब है, क्यों मिलता है मरण समान कष्ट

ऋतु सिंह | Updated:Sep 10, 2022, 09:21 AM IST

   क्या आपको पता है कि कुंडली में पितृ दोष क्या होता है और क्यों लगता है.  

Pitra Dosh in Kundli: क्या आपको पता है कि कुंडली में पितृ दोष क्या होता है और क्यों लगता है.

डीएनए हिंदी : हिंदू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति का जन्म जिस ग्रह-नक्षत्र में होता है उसी अनुसार उसके भाग्य का निर्धारण होता है लेकिन कुंडली में कुछ दोष जन्मजात ही जातक को मिलते हैं. इसमें पितृदोष और कालसर्प दोष भी एक है. ये दोनों ही दोष कुंडली में बेहद गंभीर और नरक समान कष्ट देने वाले माने गए हैं.
 
जिस तरह से जन्म कुंडली में राजयोग और महायोग होता है ठीक उसी प्रकार कुंडली में पितृदोष भी होता है. ये दोष जब कुंडली में होता है तो मनुष्य को बहुत से कष्ट बेवजह ही उठाने पड़ते हैं. आज आपको पितृदोष के बारे मेे बताएंगे कि ये कुंडलीे में क्यों लगता है तो इसके क्या मायने होते हैं और इसके होने से जातक को क्या कष्ट मिलते हैं और कैसे इस दोष से मुक्ति पाई जा सकती है. 

यह भी पढ़ेः Jitiya Vrat 2022 : इस कथा को सुनकर ही मिलता है जितिया व्रत का फल, नोट कर लें पारण मुहूर्त  

कुंडली में पितृदोष कब माना जाता है
जातक की कुंडली में जब सूर्य और राहु का संगम यानी युति होती है तब ही ये दोष लगता है. इस दोष के कारण सूर्य और राहु जातक की कुंडली में अन्य ग्रहों से मिलने वाले शुभ फल को नष्ट कर देते हैं. इससे जातक तमाम प्रयास के बाद भी सफलता या सुख नहीं पा पाता है. इतना ही नहीं, उसके जीवन में बेवजह ही कई कष्ट पैदा होते जाते हैं. बिना किसी अपराध या गलती के भी जातक दोषी बनता है और मृत्यु समान कष्ट पाता है.

क्यों लगता है पितृदोष
पूर्व जन्म के पाप या उसके पूर्वजों के बुरे कर्म का प्रभाव पूरे कुल पर पड़ता है. यदि पूर्वजों ने अपने जीवनकाल में कभी कोई गलती या अपराध किया हो तो उसका अशुभ फल उसके वशंजों को भी झेलना पड़ता है. सीधे शब्दों में समझें तो पूर्व जन्म या पितरों के अपराध का ऋण उसके वंशजों पर भी आता है और इसे कई जन्मों तक उतारना पड़ता है. वहीं, पितृपक्ष में अगर पूर्वजों का श्राद्ध या पिंडदान न किया जाए तो भी ये दोष लगता है. नाग की हत्या पर भी पितृदोष का भागी बनाती है.  

किस अपराध पर लगता है पितृदोष 
यदि पूर्वजों ने या पूर्व जन्म में खुद जातक ने मनुष्य या गाय की हत्या की हो, भ्रूण हत्या भी इस कर्म में शामिल है. वहीं किसी को मृत्यु समान कष्ट दिया हो, बलात्कार, शारीरिक या मानसिक कष्ट का भागी रहा हो तो भी पितृदोष लगता है. माता-पिता को अगर कष्ट दिया हो तो जातक कई जन्मों तक पितृदोष का भागी बनता है और उसके कुल में भी ये दोष रहता है. 

पितृदोष कब तक रहता है
यह दोष कई जन्मों तक साथ चलता है. मान्यता है कि कुल के अंत तक ये ऋण बना रहता है औश्र इससे मुक्ति के लिए हर अमावस्या और पितृपक्ष में पितरों को तपर्ण करना जरूरी होता है. साथ ही सदकर्म और दान-पुण्य से इस कष्ट को कम किया जा सकता है. बता दें कि पितृदोष ऋण को ब्रह्मा और उनके पुत्रों से जुड़ा है. 

यह भी पढ़ेः Pitru Paksha 2022: माता-पिता और अकाल मृत्यु वालों का किस दिन होता है श्राद्ध, पहले इनका करें पिंडदान

पितृ दोष के लक्षण

पितृ दोष शांति के उपाय
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पूर्वजों को मृत्यु तिथि अनुसार तिल, कुशा, पुष्प, अक्षत, शुद्ध जल या गंगा जल सहित पूजन, पिंडदान, तर्पण आदि करने के बाद ब्राह्माणों को अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन, फल, वस्त्र, दक्षिणा आदि दान करने से पितृ दोष शांत होता है. इस पक्ष में एक विशेष बात जो ध्यान देने योग्य है वह यह है कि जिन व्यक्तियों को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि न मालूम हो, तो ऐसे में आश्विन मास की अमावस्या को उपरोक्त कार्य पूर्ण विधि-विधान से करने से पितृ शांति होती है. इस तिथि को सभी ज्ञात- अज्ञात, तिथि-आधारित पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

 

Remedies for Pitru Dosh Why Pitra Dosh occurs How Pitra Dosh is formed in Kundli