डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में किसी भी बच्चे के जन्म पर सबसे पहले उसका जन्म नक्षत्र (Janma Nakshatra) देखा जाता है. अगर बच्चे के जन्म मूल नक्षत्र में हुआ होता है (Mool Nakshatra), तो कई स्थितियों में यह शुभ नहीं माना जाता है. इसके अलावा अगर बच्चे का जन्म मूल नक्षत्रों में हुआ है तो फिर पिता का उस बच्चे का मुंह देखना भी शुभ नहीं माना जाता है (Mool Nakshatra Baby Birth). दअरसल इसके पीछे कई मान्यताएं हैं (Jyotish Shastra). आज हम आपको इस लेख के माध्यम से मूल नक्षत्र से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं मूल नक्षत्र कौन से होते हैं और अगर किसी बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में हो तो क्या करना चाहिए.
क्या होता है नक्षत्र
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, आकाश में स्थित तारों को समूह को नक्षत्र कहा जाता है. जिनकी कुल संख्या 27 है, जिसमें से कुछ शुभ और कुछ अशुभ माने जाते हैं. जब चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है, तो इन नक्षत्रों के बीच से होकर गुजरता है. ऐसे में जब भी किसी का जन्म होता है तो उस समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही उस बच्चे का जन्म नक्षत्र होता है. ऐसे में उस बच्चे पर इस नक्षत्र का शुभ व अशुभ प्रभाव जीवन भर देखा जाता है.
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कौन-कौन से हैं मूल नक्षत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं. जो इस प्रकार हैं- अश्विन, आश्लेषा, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, चित्रा, स्वाति, विशाखा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती हैं. इनमें से 6 नक्षत्रों को मूल नक्षत्र कहा जाता है, इन मूल नक्षत्र में मूल, ज्येष्ठा, आश्लेषा अश्विनी, रेवती और मघा शामिल हैं.
इसलिए पिता नहीं देखते हैं मूल में जन्मे बच्चे का मुख
अगर किसी बच्चे का जन्म मूल नक्षत्रों में होता है तो पिता को उस बच्चे का मुख नहीं देखना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से भविष्य में उसे या उसके किसी परिजन को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, यह बात पूरी तरह से बच्चे की कुंडली पर निर्भर करता है. ऐसे में अगर बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो तो चिंता करने की जरूरत नहीं होती. लेकिन अगली बार जब भी बच्चे का जन्म नक्षत्र आए तो मूल की शांति जरूर करवानी चाहिए.
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कैसा होता है मूल नक्षत्र में जन्में बच्चे का नेचर
- मूल नक्षत्र के स्वामी केतु और राशि स्वामी गुरु है, ऐसे में इस नक्षत्र में जन्मे बच्चों पर इन दोनों ग्रहों का प्रभाव जीवन भर बना रहता है.
- मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ हो तो ऐसे बच्चे तेजस्वी होते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है.
- इसके अलावा शुभ प्रभाव होने पर मूल नक्षत्र में जन्में बच्चे कार्यकुशल व अच्छे वक्ता भी होते हैं. इन बच्चों का खोजी स्वभाव इन्हें अन्य लोगों से विशेष बनाता है.
- अगर मूल नक्षत्र में जन्म बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक न हो तो उसकी सेहत पर इसका बुरा असर पड़ता है जिससे वह क्रोधी और ईर्ष्यालु स्वाभाव का हो जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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