Chandra Effects: बात-बात पर भारी होने लगे दिल और बढ़ने लगे तनाव तो समझ लें कुंडली में कमजोर है ये ग्रह

Written By ऋतु सिंह | Updated: Nov 29, 2023, 06:44 AM IST

Weak Chandrama Sign In Kundali

अगर किसी की छोटी सी बात भी मन में चुभने लगे और बात-बात में ही दिल भारी होने लगे या तनाव हावी हो जाए तो समझ ले आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है.

डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म के अनुसार चंद्रदेव को सूर्यदेवता का प्रतिरूप बताया गया है. इतना ही नहीं, चंद्रदेवता को हमेशा सूर्यदेवता के विपरीत लिंग के रूप में वर्णित किया गया है. चंद्रमा किसी भी राशि पर ढाई दिन में गोचर करता है. फिर 24 घंटे के भीतर एक राशि को पार करके दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करता है.

कई पुराणों में चंद्रमा को ज्ञान के देवता के रूप में पूजा जाता है. भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्र अत्रि के पुत्र और सप्तबिंशति नक्षत्र के पति हैं. वह फिर से बुध के पिता और दक्ष के दामाद हैं. सूर्य के समान नौ ग्रहों में चंद्रदेवता का प्रमुख स्थान है. चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. राशि के अनुसार भी चंद्र देवता कई राशियों पर शक्तिशाली स्थान रखते हैं तो कुछ राशियों में उनका स्थान नीच का होता है, जैसे वृश्चिक के स्वामी मंगल के साथ वो नीच के होते हैं. सूर्य की भांति इसकी गति सदैव सीधी होती है. चंद्र देवता कभी भी अन्य ग्रहों की तरह विपरीत दिशा में नहीं चलते.

कमजोर चंद्रमा के कई लक्षण हैं-

1-कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है तो व्यक्ति की फैसले लेने की क्षमता कम हो सकती है.

2-चंद्रमा के कमजोर होने से जातक मानसिक रूप से परेशान रह सकते हैं.  वह बहुत सोचता है.

3-कुंडली में चंद्रमा नीच का होता है तो व्यक्ति को मानसिक अशांति या मानसिक रोग हो सकता है.

4-कमजोर चंद्रमा छोटी-छोटी बात पर परेशान कर सकता है.

चंद्रमा कुंडली को कैसे प्रभावित करता है?

1. जन्म कुंडली में लग्न तो महत्वपूर्ण है ही, चंद्रमा भी महत्वपूर्ण है. दुनिया के कई कवियों ने चंद्रमा की सुंदरता के बारे में कई गीत और कविताएं लिखी हैं. चंद्रमा के प्रभाव में स्त्री सौंदर्य को विकास और गर्भधारण के प्रतीकों में से एक माना जाता है. जब कोई दम्पति बच्चे के जन्म के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता है, तो पहले पत्नी की जन्मकालीन चन्द्र स्थिति का अध्ययन करना चाहिए, न कि पति की.

2. कुंडली में पंचम स्थान को देखकर व्यक्ति की बुद्धि का आकलन किया जाता है. लेकिन मानसिक स्थिति का आकलन चंद्रमा की गृह स्थिति के आधार पर ही किया जाता है. जब भी कोई व्यक्ति बिना कुंडली के किसी प्रश्न के बारे में जानना चाहता है तो सबसे पहले चंद्रमा को स्थान देना जरूरी है. इससे मन की स्थिति का आकलन करना आसान हो जाता है. चंद्रमा की स्थिति के आधार पर मानसिक स्थिति का अनुमान लगाया जाता है.

3. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा मजबूत होने पर जातकों पर अधिक प्रभाव डालता है. चंद्रमा स्वयं लग्न का स्वामी होने के कारण लग्न को प्रभावित कर सकता है. तीसरे स्थान पर यदि चंद्रमा कुंडली के सभी ग्रहों से अधिक बलवान हो जाए तो व्यक्ति चंद्रमा का अधिपति माना जाता है. इससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति बहुत अच्छी रहती है, स्वभाव शांत रहता है और वाणी मधुर होती है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.