जटाधारी बाल, सिर से पैर तक शरीर में 'भस्म' लपेटे, हड्डियों की माला पहने या फिर काला चोंगा (एक प्रकार की ड्रेस) पहने यदि कोई रहस्यमयी सा दिख रहा है, हो सकता है वो अघोरी हो. श्मशान में तंत्र क्रिया करने वाले अघोरियों की दुनिया बहुत ही रहस्यमयी (Aghor Panth) है और यही वजह है कि अघोरी हमेशा से लोगों की जिज्ञासा का विषय रहे हैं. अघोर का अर्थ है अ+घोर यानी जो घोर न हो, डरावना न हो, जो सरल हो और जिसके भीतर किसी तरह का भेदभाव न हो. अघोरियों के विषय में कहा जाता है कि ये (Facts About Aghoris) न केवल श्मशान घाट पर साधना करते हैं बल्कि इन घाटों पर जलने वाले अधजले शवों को खाते भी हैं.
मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव अघोर पंथ के प्रणोता हैं और उन्होंने ही अघोर पंथ की उत्पत्ति की थी. वहीं अघोर संप्रदाय में बाबा कीनाराम (Baba Keenaram) की पूजा की जाती है और इस संप्रदाय के अघोरी भगवान शिव के अनुयाई माने जाते हैं.
श्मशान घाट में अघोरी तीन तरह से साधना (Aghori Real Story) करते हैं. पहली श्मशान साधना, दूसरी शिव साधना और तीसरी शव साधना. देश में कई ऐसी खास जगहें हैं जहां अघोरियों का जमावड़ा (Unknown Facts About Aghoris) लगता है. आइए जानते हैं इनके ऐसे कुछ खास ठिकानों के बारे में...
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ये हैं अघोरियों के कुछ खास ठिकाने (Mysterious Places Of Aghoris)
बनारस का मणिकर्णिका घाट (Banaras, Manikarnika Ghat)
बनारस के मणिकर्णिका घाट को महा-श्मशान कहा जाता है. यहां सुबह से लेकर रातभर अंतिम संस्कार का सिलसिला जारी रहता है. मणिकर्णिका घाट अघोरियों का विशेष स्थान माना जाता है और इसका मुख्य कारण यहां स्थित बाबा विश्वनाथ का मंदिर और और गंगा के 84 घाट हैं. यहां के घाट अघोरी-तांत्रिकों की गुप्त साधना के लिए विशेष स्थान माने जाते हैं.
बंगाल का तारापीठ (Bangal Ka Tarapith)
तंत्र-साधना के लिए बंगाल का जिक्र सबसे पहले आता है. बंगाल का तारापीठ अघोरी-तांत्रिकों का बड़ा ठिकाना माना जाता है. दरअसल यह स्थान तारा देवी के लिए प्रसिद्ध है और यहां मां काली की विशाल प्रतिमा स्थापित है. यह मंदिर श्मशान घाट के नजदीक स्थित है और कहा जाता है कि यहां कि मसान की अग्नी भी कभी शांत नहीं पड़ती. इसलिए यह श्मशान घाट अघोरियां की गुप्त साधना के लिए विशेष ठिकाना माना जाता है.
असम का कामाख्या देवी मंदिर (Assam Kamakhya Temple)
वहीं असम के गुवाहाटी शहर में स्थित भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक कामाख्या मंदिर अघोरियों की तंत्र-साधना का मुख्य स्थल माना जाता है. मान्यता के अनुसार यहां देवी सती के शरीर का एक अंग 'योनी' गिरा था. यहां स्थित श्मशान घाट में देश के विभिन्न जगहों से तांत्रिक गुप्त सिद्धियां प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं.
नासिक का त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nashik Trimbakeshwar Temple)
महाराष्ट्र के नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी अघोरियों का भारी जमावड़ा लगता है. बता दें कि यह मंदिर भोलेनाथ को समर्पित है और जहां भगवान शिव विराजमान हों वो जगह भला अघोरियों से कैसे दूर रह सकती है. यहां कई खास मौके पर अघोरी तंत्र साधना करने पहुंचते हैं..
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गुजरात के जूनागढ़ (Gujarat Junagadh)
गुजरात के जूनागढ़ का गिरनार पर्वत भी अघोरियों का एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. जूनागढ़ को अवधूत भगवान दत्तात्रेय के तपस्या स्थल के रूप में जाना जाता है और यह स्थान भी अघोरियां की गुप्त साधना के लिए विशेष ठिकाना माना जाता है.
'अघोरी पंथ की तिलिस्मी दुनिया का सच' की अगली कड़ी में आपको अघोर पंथ के कई और रहस्यमयी परंपरा और इनसे जुड़ी खास बातों के बारे में बताएंगे.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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