Chausath Yogini Temple के हर कमरे में मौजूद है शिवलिंग, जानें क्यों कहा जाता था इसे तांत्रिक यूनिवर्सिटी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 03, 2022, 03:22 PM IST

इस मंदिर को कहा जाता था तांत्रिक यूनिवर्सिटी 
 

मुरैना जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूर पर मितावली गांव में बना यह रहस्यमयी मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है,जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें

डीएनए हिंदी (Chausath Yogini Temple): देश भर में चार चौसठ योगिनी मंदिर हैं. जिनमें से दो ओडिशा और दो मध्य प्रदेश में हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सबसे प्रमुख और प्राचिन है. कहा जाता है यह मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए काफी प्रसिद्ध था, इसलिए इस मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है. इस मंदिर में लोग देश-विदेश से तंत्र-मंत्र सीखने आते थे. मंदिर के भीतर 64 कमरे हैं और इन सभी 64 कमरों में भगवान शिव की भव्य शिवलिंग स्थापित है. मुरैना (Chausath Yogini Temple, Mitaoli) जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूर पर मितावली गांव में बना यह रहस्यमयी मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है. आज हम आपको इस लेख के द्वारा चौसठ योगिनी मंदिर के बारे में कुछ खास बातें बता रहे हैं..


101 स्तंभ पर टिका हुआ है यह मंदिर 

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको तकरीबन 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी. यह मंदिर वृत्तीय आधार पर निर्मित और इसके मध्य में एक मंडप खुला हुआ है, जिसमें भगवान शिव की भव्य शिवलिंग स्थापित है. शिवलिंग के साथ ही देवी योगिनी की भी मूर्तियां स्थापित थीं लेकिन कुछ मूर्तियां चोरी हो गईं, जिसकी वजह से अब मूर्तियों को दिल्ली के संग्राहलय में रखा गया है. यह मंदिर 101 खंभों पर टिका हुआ है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है. कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण 1323 ई में हुआ था, जिसे क्षत्रिय राजाओं ने बनवाया था.

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चौसठ योगिनियों को किया जाता है जागृत

यहां के स्थानिय निवासी आज भी मानते हैं कि यह मंदिर आज भी शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है. इसलिए इस मंदिर में या इसके आस पास रात में रुकने की इजाजत नहीं है, ना तो इंसानों को और ना ही पंक्षी को. मान्यता है तंत्र साधना के लिए मशहूर इस मंदिर में शिव की योगनियों को जागृत किया जाता था.

माता काली से है संबंध

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह सभी चौसठ योगिनी माता आदिशक्ति काली की अवतार हैं. ग्रंथो के अनुसार घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए मां काली ने यह अवतार लिए था.  इन सभी देवियों में दस महाविघाएं और सिद्ध विघाओं की भी गणना की जाती है. यह सभी योगिनी तंत्र तथा योग विघा से संबंध रखती हैं.

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इस मंदिर को कहा जाता था तांत्रिक यूनिवर्सिटी 

इस मंदिर को एक जमाने में तांत्रिक यूनिवर्सिटी कहा जाता था. पुराने समय में इस मंदिर तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता था. कहा जाता है विदेशी नागरिक भी यहां तंत्र-मंत्र सीखने आया करते थे. यहां आज भी कुछ तांत्रिक, सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यज्ञ किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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