Namkaran Niyam: बच्चों के नामकरण पर न करें ये गलती, इस दिन नाम रखना होता है अशुभ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 07, 2022, 03:50 PM IST

नामकरण के दौरान बच्चे का जो भी नाम रखा जाता है उसका सीधा असर उसके भाग्य और भविष्य पर पड़ता है, इसलिए नामकरण के दिन कुछ गलतियां न करें

डीएनए हिंदी: (Bacche Ka Namkaran Kaise Kare) सनातन धर्म में बच्चे के जन्म के बाद उसका नाम रखने के लिए नामकरण संस्कार का आयोजन किया जाता है. इस संस्कार को व्यक्ति के पूरे जीवन में किए जाने वाले 16 संस्कारों में से एक माना जाता है. जिसे इन सभी संस्कारों में पांचवा स्थान दिया गया है. नामकरण के दौरान बच्चे का जो भी नाम रखा जाता है उसका सीधा असर उसके भाग्य और भविष्य पर पड़ता है.

(Namkaran Niyam) बच्चे के जन्म के साथ घर में खुशियों का आगमन होता है. व्यक्ति का नाम किसी भी इंसान के लिए काफी विशेष होता है, क्योंकि नाम से केवल पहचान ही जाहिर नहीं होती बल्कि रखे गए नाम का असर सीधा व्यक्ति के भविष्य पर पड़ता है. ऐसे में बच्चे के नामकरण को लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें और बच्चों का नाम बहुत सोच-समझकर रखें यहां हम आपको कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जिनका नामकरण संस्कार के दौरान ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

बच्चों के नाम करण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान (Child Naamkaran)

बच्चे के चरित्र को दर्शाता है नाम

सनातन धर्म के अनुसार कुंडली और ग्रहों की चाल के आधार पर रखा गया नाम बच्चे के चरित्र को दर्शाता है. ऐसे में अगर बच्चे का नाम ग्रहों की स्थिति से मेल न खाएं तो यह उसके लिए दुर्भाग्य का कारण बन सकता है. इसलिए  बच्चे का नाम रखते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें.

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नामकरण के लिए यह दिन माना जाता है अशुभ 

बच्चे का नामकरण  अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन नहीं करना चाहिए. इसके लिए यह दिन अशुभ माना जाता है. इसके अलावा चतुर्थी तिथि, नवमी तिथि, चतुर्दशी तिथि और रिक्ता तिथि के दिन भी बच्चे का नाम रखना अशुभ माना जाता है. ऐसे में बच्चे का नाम रखते समय इन अशुभ दिनों का भी ध्यान जरूर रखें. 

नामकरण के दिन जरूर करवाएं हवन

बच्चों का नामकरण नक्षत्रों, ग्रहों की दिशा, तिथि को देखकर किया जाता है. इसके आधार पर ही बच्चे की कुंडली तैयार की जाती है और राशि का निर्धारण किया जाता है. जिसके बाद बच्चे का नाम रखा जाता है. ऐसे में बच्चे के नामकरण के दिन हवन का आयोजन जरूर किया जाना चाहिए साथ ही ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए. 

नामकरण के दिन करवाएं सूर्य का दर्शन 

नामकरण के दिन बच्चे को सूर्य का दर्शन करवाना चाहिए. जिसके बाद बच्चे के दादा-दादी और माता-पिता को उसके दाहिने कान में रखे जाने वाले नाम का उच्चारण करना चाहिए. नामकरण के दौरान पूजा के लिए इस्तेमाल की जानी वाली थाली नई होनी चाहिए.

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इन बातों का भी रखें ध्यान 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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