Narak Chaturdashi: आज रात सोने से पहले जला लें यम के नाम का एक दीया, ये रही यमराज की पूजा विधि और दीपदान का समय

ऋतु सिंह | Updated:Nov 11, 2023, 09:47 AM IST

Yam Puja on Narak Chaturdashi

आज छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी है औज के दिन यम के नाम का रात में दीया निकाला जाता है. ऐसा करने से घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है.

डीएनए हिंदीः छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं. छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी आज यानी  11 नवंबर 2023, शनिवार को है. आज के दिन रात में यम की पूजा के बाद उनके नाम का दीया घर के बाहर निकाला जाता है. इस दीये को निकालने के विशेष नियम होते हैं.

यमराज के नाम इस दिन दीपदान की मान्यता ही नहीं, पूजा विधि भी बेहद अलग होती है. रात यम को दीया निकालने से पहले इस परंपरा के पीछे की मान्यता और दीप को निकालने की पूरी विधि भी जान लें. 

यम का दीया निकालने के ये हैं नियम और विधि

मृत्युना पाश दण्डाभ्यां कालेन च मया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतामिति॥

नोटः जब दीया जला लें उसके बाद किसी से न कुछ बोलें न कोई पीछे से आपको टोंके. इसके लिए पहले ही घर वालों को निर्देश दे दें.

पौराणि कथा से जानें यमराज की पूजा का महत्व

प्राचीन समय में एक धर्मात्मा राजा रतिदेव थे. राजा रतिदेव ने अपने जीवनकाल में कभी कोई पाप नहीं किया था बावजूद जब उनकी मृत्यु हुई तो यमराज उन्हें नरक में लेकर जाने लगे तब राजा यमदूत से पूछे कि उनके किस कर्म के कारण नरक लोक ले जाया जा रहा हैै? तब यमदूत नें उन्हें बताया कि एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा पेट लौट गया था. यह आपके उसी कर्म का फल है.
इस बात को सुनते ही राजा ने यमराज से अपने लिए एक साल का और जीवनकाल मांगा और यमराज ने उनकी इच्छा मान ली. इसे बाद राजा ऋषियों के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे तब ऋषियों ने उन्हें कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखने के साथ  ब्राह्मणों को भोजन कराने की सलाह दी. एक साल बाद यमदूत राजा को फिर लेने आए. इस बार उन्हें नरक के बजाय स्वर्ग लोक ले गए तब ही से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई और यमराज ने क्योंकि मृत्यु को टाल दिया था इसलिए यमराज की भी पूजा होने लगी.

छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी तिथि शुभ मुहूर्त 2023 :

छोटी दिवाली के दिन होगी हनुमान पूजा:

हनुमान पूजा तथा काली चौदस एक ही दिन आते हैं. यह माना जाता है कि काली चौदस की रात में प्रेत आत्माएं सर्वाधिक शक्तिशाली होती हैं. ऐसे में सभी प्रकार की बुरी आत्माओं से सुरक्षा के लिए और शक्ति-बल की प्राप्ति के लिये हनुमान जी की पूजा की जाती है. इसी दिन अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. बाकी उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है.

दिवाली हनुमान पूजा मुहूर्त:

हनुमान पूजा मुहूर्त रात 11 बजकर 38 मिनट से 12 नवंबर को देर सुबह 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. कुल अवधि 53 मिनट की है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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