डीएनए हिंदी: Navdurga 9 Name Rahasya- Navratri के नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के 9 ( Maa Durga 9 Roop) रूप में पहला रूप मां शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवीं स्कंदमाता है औऱ देवी के छठे रूप को कात्यायनी, सातवें रूप को कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवें स्वरूप को सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है. मां दुर्गा के इन सभी नामों के पीछे कोई न कोई किस्सा जरूर सुनने को मिलता है, ऐसे में आइए जानते हैं मां दुर्गा के नौ नाम और उनसे जुड़े कुछ रहस्य के बारे में.
मां दुर्गा के नौ रूपों से जुड़े 9 महा रहस्य
शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्मी देवी को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया था. शैल का शाब्दिक अर्थ होता है पर्वत, इसलिए देवी का नाम शैलपुत्री रखा गया.
ब्रह्मचारिणी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कई वर्ष तक कठोर तपस्या की थी, इसलिए कठोर तपस्या का आचरण करने वाली देवी को ब्रह्मचारिणी के नाम से पुकारा जाने लगा. मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या, इसलिय मां दुर्गा के इस रूप को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है.
चंद्रघंटा: माता चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्ध चंद्र के आकार का तिलक विराजमान है इस कारण देवी के इस स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है.
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कूष्मांडा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी के इस स्वरूप में ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त है, साथ ही मां ने पूरे ब्रह्मांड को उदर से अंड तक अपने भीतर समेट रखा है, इसलिए देवी के इस रूप को कूष्मांडा नाम से जाना जाता है.
स्कंदमाता: भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का एक दूसरा नाम स्कंद है. इसलिए कार्तिकेय यानी स्कंद की मां के रूप में देवी के इस रूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.
कात्यायिनी: पौराणिक कथाओं के अनुसार जब महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया था, तब त्रिदेव भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक शक्ति को उतपन्न किया. जिसके बाद उस शक्ति ने मां दुर्गा का रूप धारण किया और महिषासुर का वध किया. कहा जाता है त्रिदेव की शक्ति से प्रकट हुईं माता दुर्गा की पूजा सबसे पहले महर्षि कात्यायन ने की जिसकी वजह से मां दुर्गा को कात्यायनी के नाम से भी जाना जाने लगा.
कालरात्रि: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा के इस रूप में हर तरह के संकट को खत्म कर देने की शक्ति व्याप्त है, वैसे तो माता का यह स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक लगता है, लेकिन मां कालरात्रि बहुत ही दयालु हैं. वह अपने भक्तों को हमेशा शुभ फल ही देती हैं. माता के इस रूप की उपासना करने से सभी संकटों का नाश होता है.
महागौरी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इतना कठोर तप किया था कि वे काली पड़ गई थीं. महादेव देवी के इस कठिन तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. कहा जाता है तब भोलेनाथ ने देवी के शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया जिसकी वजह से माता के शरीर से विद्युत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान-गौर उत्सर्जित हुआ. इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना जाने लगे.
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सिद्धिदात्री: मान्यता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से बाकी सभी देवियों की पूजा हो जाती है. मां सिद्धिदात्री अपने सभी भक्तों को सर्व सिद्धियां प्रदान करती हैं. इसलिए देवी के इस रूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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