डीएनए हिंदीः Brahmacharini Puja Vidhi : आज 27 सितम्बर है. यह नवरात्रि का दूसरा दिन होता है. इस दिन नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. ब्रह्मचारिणी माता के नाम का शाब्दिक अर्थ उस देवी से है जो ब्रह्मचर्य जीवन अपनाती है. माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के हर बिगड़े काम बन जाते हैं. वे दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली माता मानी जाती हैं. उनकी भक्ति से साधकों में तप करने की शक्ति के साथ-साथ त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini Mantra) की पूजा- विधि क्या है, साथ ही जानते हैं उनका सिद्धि मंत्र, भोग की चीज़ें और कथा भी...
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि (Navratri 2022 Maa Brahmacharini Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान कर लें, इसके बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़ककर, स्थान को शुद्ध कर लें. पूजा शुरू करने से पहले दीपक प्रज्वलित करना न भूलें. फिर देवी का गंगा जल से अभिषेक करें. फिर मां को अर्ध्य दें. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा सफ़ेद चमेली या चम्पा के फूलों से की जाती है. देवी को सिन्दूर की जगह रोली और अक्षत अर्पित करें. प्रसाद में मिश्री या फल चढ़ाएं. देवी की पूजा करते हुए दुर्गा चालीसा के साथ साथ ब्रह्मचारिणी स्त्रोत का पाठ ज़रूर करें.
माता ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा (Maa Brahmacharini Vrat Katha)
मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय की पुत्री के तौर पर पैदा हुई थीं. ब्रह्मचारिणी रूप देवी ने तब धरा था जब वे शिव को प्रसन्न करने के लिए जंगल में तप कर रही थीं. इस वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. भगवान शिव की आराधना करते हुए देवी ने केवल फल फूल का सेवन किया और कई सालों तक केवल पत्ते पर ज़िंदा रहीं. इसलिए उन्हें अपर्णा भी कहते हैं.
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ब्रह्मचारिणी देवी ध्यान मन्त्र (Brahmcharini Devi Dhyan Mantra)
वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥
पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥
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ब्रह्मचारिणी देवी स्तोत्र (Brahmcharini Devi Strot)
तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।
ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।
धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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