Navratri 2022: बंगाल, गुजरात-मैसूर में नवरात्रि का अलग रंग, कहीं डांडिया तो कहीं होता है धुनुची नाच

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 02, 2022, 01:37 PM IST

यहां अलग ढंग से मनाया जाता है नवरात्रि का पर्व

देश में सांस्कृतिक विविधता की वजह से यह पर्व अलग अलग स्थानों के स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, अलग तरह से मनाया जाता है.

डीएनए हिंदीः देश भर में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है (Shardiya Navratri 2022). यह पर्व देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है. 9 दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित है. इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा की जाती है (Durga Puja 2022). देश में सांस्कृतिक विविधता की वजह से यह पर्व अलग अलग स्थानों के स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, अलग तरह से मनाया जाता है. ऐसी ही कुछ रीति-रिवाज और परंपराएं हैं, जो इन खास शहरों में मनाए जाने वाले नवरात्रि के पर्व को अलग करती हैं. जिसकी वजह से यहां पर होने वाली नवरात्रि की पूजा को अलग ही प्रसिद्धि प्राप्त है.गुजरात, बंगाल और मैसूर में अलग ही तरीके से नवरात्रि और दशहरे का त्योहार मनता है.

यहां अलग ढंग से मनाया जाता है नवरात्रि का पर्व

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल में खासतौर पर कोलकाता में नवरात्रि (Kolkata Navratri) के पर्व पर खास झलक देखने को मिलती है. शहरों और गांवों में इस दौरान भव्य दुर्गा पंडाल सजाए जाते हैं. दुर्गा पूजा बंगाल का एक मुख्य त्योहार है, जो महिषासुर राक्षस के पराजय और मां दुर्गा की जीत की खुशी में मनाया जाता है. इस दौरान बंगाली लोग पारम्परिक पोशाक पहनकर धुनुची नृत्य करते हैं. बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान होने वाले धुनुची नृत्य का बड़ा महत्व है. मान्यता है महिषासुर वध से पहले देवी दुर्गा ने शक्ति बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था. इसलिए दुर्गा पूजा के दौरान यहां धुनुची नृत्य किया जाता है. 

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कोलकाता में यह त्योहार भव्य तरीके से मनाया जाता है. इस दौरान देश और विश्व के विभिन्न भागों से लोग दुर्गा पूजा का आनंद लेने कोलकाता पहुंचते हैं.

मैसूर: दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में मनाया जाने वाला "मैसूर दशहरा (Mysore Dussehra) राज्य का राज्य-पर्व है, यहां पर यह पर्व बिल्कुल ही अलग और पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. कहा जाता है इस पर्व को पहली बार वर्ष 1610 में राजा वोडेयार ने मनाया था. नवरात्री के दौरान महानवमी के दिन शाही तलवार की पूजा के लिए एक सिंहासन बनाया जाता है. उसपर शाही तलवार को  स्थापित करके पूजा की जाती है, और उसे हाथियों और घोड़ों के जुलूस पर ले जाया जाता है. नवरात्रि के दसवें दिन संगीतकारों और नर्तकियों की एक भव्य यात्रा निकाली जाती है, जिसमें हाथी के ऊपर सोने की काठी पर देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को रखा जाता है, और उसे पूरे शहर में घुमाया जाता है.

गुजरात: गुजरात में नवरात्रि का पर्व कोलकाता (Gujrat Navratri) में मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा और मैसूर दशहरे से बिल्कुल भिन्न है. यहां नवरात्री के दौरान गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है. गुजरात में मां दुर्गा और उनके नौ अलग-अलग रूपों के सम्मान में भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और हर शाम जो महिलाएं उपवास रखती हैं, वह दियों से जगमगाते मिट्टी का एक बर्तन जिसे गरबा कहते हैं, उसे लेकर नृत्य करती हैं. मान्यता है गरबा जीवन के स्रोत और प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है. 

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गुजरात में नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान पारम्परिक गरबा के साथ डांडिया रास का भी आयोजन किया जाता है. जहां पुरुष और महिलाएं पारंपरिक गुजराती पोशाक पहन कर इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेते है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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