डीएनए हिंदीः (Chandraghanta Puja Vidhi ) 28 सितम्बर को नवरात्रि का तीसरा दिन (Navratri 3rd Day) है. इस दिन मां के तृतीय रूप माता चंद्रघंटा की पूजा होती है. सुभागा देवी चंद्रघंटा के सिर पर चन्द्रमा शोभित है, चूंकि इस चंद्र का आकार घंटी/घंटे जैसा है इसलिए देवी के इस रूप को चंद्रघंटा कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार शेर की सवारी करने वाली इस मां की पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए लेते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग के बारे में पूरी जानकारी -
चंद्रघंटा का आराधना मंत्र (Maa Chandraghanta Mantra)
देवी चंद्रघंटा की पूजा इस मन्त्र से होती है...
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि (Chaitra Navratri 2022 Maa Chandraghanta Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. स्नानादि के बाद बाद मां की पूजा की शुरुआत होती है, उससे पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान ज़रूरी है. पूजा के आरम्भ में माता की प्रतिमा भी गंगा जल छिड़कें. चंद्रघंटा देवी की पूजा में धूप, दीप, रोली, चन्दन और अक्षत का विशेष स्थान है. चंद्रघंटा देवी को फूलों में कमल और शंखपुष्पी अति प्रिय हैं, अतः इन्हीं फूलों से उनकी पूजा होनी चाहिए. पूजा होने के बाद घर में शंख और घंटा अवश्य बजना चाहिए. इससे घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होता है. भोग में दूध से बनी मिठाई ही चढ़ानी चाहिए. देवी के तृतीय रूप की पूजा करते हुए हाथों में पुष्प होना चाहिए.
मां चंद्रघंटा देवी स्तोत्र (Maa Chandraghanta Devi Stotra)
चंद्रघंटा देवी को प्रसन्न करने में उनके स्तोत्र बेहद कारगर माने जाते हैं. यहां पढ़िए उनका ध्यान और स्तोत्र पाठ...
ध्यान (Navratri Day 3 Dhyan Mantra)
वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम्।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्॥
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्॥
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स्तोत्र (Chandraghanta Stotram)
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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