डीएनए हिंदीः (Durga Puja Dhunuchi Naach Tradition) हमारे देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न संस्कृतियां, रीति-रिवाज और परंपराएं प्रचलित हैं, इनमें से कुछ एक परंपराएं ऐसी हैं जिन्हें देख कर हर कोई रोमांचित हो उठता है. ऐसी ही बंगाल की एक परंपरा है धुनुची नृत्य (Dhunuchi Naach). इस नृत्य में गजब का संतुलन देख कर हर कोई दंग रह जाता है. इसे शक्ति नृत्य के रूप में भी जाना जाता है. इस मान्यता के पीछे कथा यह है कि यह नृत्य देवी दुर्गा ने महिषासुर के वध से पहले अपनी शक्ति में वृद्धि के लिए किया था.
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यह नृत्य बंगाल में काफी प्रसिद्ध है, इसे अमूमन नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के दौरान ही किया जाता है. लोग श्रद्धा और उत्साह के साथ पंडाल के बीच में देवी दुर्गा के समक्ष धुनुची नाच करते हैं, जो अपने आप में काफी अनोखा होता है.
ऐसे किया जाता है धुनुची नृत्य
बंगाल में हर वर्ष दुर्गा पूजा (Durga puja 2022) के दौरान धुनुची नाच करने की परंपरा है. दरअसल धुनुची एक पात्र होता है जिसमें जलता कोयला, सूखा नारियल कपूर आदि रखा जाता है. जिसे लोग मुंह से पकड़ कर धुनुची नृत्य करते हैं. इसके लिए पहले से कोई तैयारी नहीं की जाती है, इसे लोग सच्ची श्रद्धा से करते हैं. यह देख लोग उत्साहित होते हैं और इस परंपरा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते
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यह है महत्व
देवी भागवत पुराण के अनुसार जब महिषासुर का आतंक बढ़ रहा था तब सभी देवताओं ने मिल कर मां दुर्गा की स्तुति की थी. जिसके बाद मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार महिषासुर बहुत बलशाली था इसलिए मां दुर्गा ने महिषासुर के वध से पहले अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था. दुर्गा पूजा के दौरान सप्तमी से लेकर नवमी तक धुनुची नृत्य किया जाता है. बंगाल में धुनुची नृत्य के साथ ही संध्या आरती भी की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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