डीएनए हिंदीः (Navratri Sandhya Aarti) सनातन धर्म में किसी भी पूजा के अंत में आरती की जाती है, इसके बाद ही पूजा सम्पन्न व सफल मानी जाती है. आज से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) का पावन पर्व शुरू हो चुका है जो कि 5 अक्टूबर को समाप्त होगा, इस दौरान 9 दिनों तक सुबह शाम देवी दुर्गा की पूजा के पश्चात आरती की जाएगी. मां दुर्गा की पूजा में आरती का विशेष महत्व है (Importance Of Sandhya Aarti), मान्यता है कि मां की पूजा में यदि संध्या आरती न हो तो उनकी पूजा अपूर्ण मानी जाती है जिससे पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है. संध्या आरती में मां दुर्गा का आह्वान कर उनको भोग लगाया जाता है. चलिए जानते हैं नवरात्रि में संध्या आरती का क्यों है इतना महत्व.
पूजा के अंत में इसलिए की जाती है आरती
अमूमन कई लोग पूजा के दौरान प्रयोग किए जाने वाले स्त्रोत व मंत्रो का उच्चारण नहीं कर पाते या फिर पूजा की संपूर्ण विधि नहीं जानते हैं. ऐसे में पूजा के अंत में आरती करना बेहद जरूरी हो जाता है. ऐसा करने से पूजा संपूर्ण हो जाती है और इसका फल प्राप्त होता है. आरती बेहद सहज व सरल होती है इसलिए कोई भी यह कार्य कर सकता है. नवरात्रि के दौरान घरों में, मंदिरों में और पंडालों में संध्या आरती की जाती है और मां दुर्गा को भोग लगाकर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया जाता है.
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दुर्गा पूजा में खास तरह से होती है आरती
दुर्गा पूजा के दौरान की जाने वाली संध्या आरती नियमित तौर पर की जाने वाली आरती से थोड़ी अलग होती है. संध्या आरती में मां दुर्गा के समक्ष ज्योति जलाकर उनका श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद वस्त्र, फल-फूल, मेवा व गहने इत्यादि अर्पित किए जाते हैं. इस दौरान संगीत, शंख, ढोल, नगाड़ों, घंटियां और नाच-गाने के साथ संध्या आरती की जाती है.
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नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के 9 विभिन्न स्वरुपों की पूजा की जाती है इसलिए जिस दिन जिस देवी की पूजा होती है, उस दिन उस देवी से संबंधित संध्या आरती की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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