Navratri Day 4 Kushmanda Arti: शाम को मां कूष्माण्डा की ऐसे करें पूजा, आरती, मंत्र जाप और लगाएं ये भोग

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 29, 2022, 03:36 PM IST

मां कूष्माण्डा की पूजा जैसे सुबह करते हैं ठीक वैसे ही शाम को भी करें, आरती भी करें, भोग लगाएं और मंत्र का जाप भी करें. यहां आपको मिलेगा सब कुछ

डीएनए हिंदी: Maa Kushmanda Puja, Sandhya Aarti, Bhog and Mantra- नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा (Devi Kushmanda) की पूजा होती है. देवी कूष्मांडा पूरे संसार की देखभाल करती हैं. सुबह-सुबह स्नान करके देवी की पूजा आराधना की जाती है लेकिन शाम को भी देवी की आरती और भोग लगाया जाता है. यहां तक कि उनकी स्सुति और मंत्र जाप भी किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होकर भक्तों का दुख और कष्टों का नाश करती हैं.धार्मिक मान्यता है कि मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दिनों में उनकी पूजा के बाद ये आरती जरूर पढ़ें. सुबह और शाम दोनों वक्त उनकी पूजा करें और ध्यान करें. इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. (Maa Kushmanda Puja, Vidhi, Bhog, Mantra and Sandhya Aarti)

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्माण्डा की आठ भुजाएं हैं, मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. इनके सात हाथों में कमंडल,धनुष,बाण, कमल-पुष्प,अमृतपूर्ण कलश,चक्र तथा गदा है. आठवें हाथ में जपमाला है, मां सिंह का सवारी करती हैं

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मां का शुभ रंग

नवरात्रि के चौथे दिन हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है, मान्यता है कि मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है इसलिए इस रंग का 
फूल भी चढ़ाना चाहिए

मां कूष्मांडा का भोग

मां कूष्माण्डा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं

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मां कूष्मांडा की संध्या आरती (Sandhya Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥ 

देवी कूष्मांडा मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है

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