नवरात्रि हवन में ऐसे करें नौ देवी का आह्वान, जानें दुर्गा सप्तशती के वैदिक आहुति नियम

Written By ऋतु सिंह | Updated: Oct 03, 2022, 05:03 PM IST

नवरात्रि हवन में ऐसे करें नौ देवी दुर्गा का आह्वान, जानें सप्तशती आहुति नियम

Navratri Hawan Mantra: नवरात्रि पर हवन करने जा रहे हैं तो कैसे और किस मंत्र के साथ इसकी शुरुआत करें, चलिए पूरी यज्ञ विधि जानें

डीएनए हिंदीः नवरात्रि पर आप आसानी से घर बैठे ही खुद ही हवन कर सकते हैं. बस इसके लिए आपको सही मंत्र और आहुति से जुड़ी पूरी जानकारी होनी चाहिए. नवरात्रि पर हर दिन हवन करना देवी को प्रसन्न करता है और आपके घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास लाता है. तो चलिए ज्योतिषी प्रीतिका मोजुमदार से जानें हवन की शुरुआत कैसे करें और आहुति की मंत्र क्या हैं. 

नौ दिन के लिए हवन सामग्री :

- हवन कुंड.

- आम की लकड़ी.

- हवन कुंड पर लगाने के लिए रोली या सिंदूर.

- काले तिल.

- चावल.

- जौ (जवा).

- धूप.

- चीनी.

- पांच मेवा.

- घी.

- लोबान.

- गुग्ल.

- लौंग का जौड़ा.

- कमल गट्टा.

- सुपारी.

- कपूर.

- हवन में चढ़ाने के लिए प्रसाद की मिठाई और नवमी को हलवा-पूरी.

- आचमन के लिए शुद्ध जल.

कलश स्थापना के लिए :

- एक कलश.

- कलश और नारियल में बांधने के लिए मौली (कलावा).

- 5, 7 या 11 आम के पत्ते धुले हुए.

- कलश पर स्वास्तिक बनाने के लिए रोली.

- कलश में भरने के लिए शुद्ध जल और गंगा जल.

- जल में डालने के लिए केसर और जायफल.

- जल में डालने के लिए सिक्का.

- कलश के नीचे रखने चावल या गेहूं.

जवारे बोने के लिए :

- मिट्टी का बर्तन.

- साफ मिट्टी (बगीचे की या गड्डा खोदकर मिट्टी लाएं).

- जवारे बोने के लिए जौ

माता के श्रंगार के लिए :

- लाल चुनरी.

- चूड़ी.

- बिछिया.

- इत्र.

- सिंदूर.

- महावर.

- बिंद्दी.

- मेहंदी.

- काजल.

- चोटी.

- गले के लिए माला या मंगल सूत्र.

- पायल.आदि

देवी पूजन में इन बातों का रखें ध्यान :

- तुलसी पत्ती न चढ़ाएं.

- माता की तस्वीर या मूर्ति में शेर दहाड़ता हुआ नहीं होना चाहिए.

- देवी पर दूर्वा नहीं चढ़ाएं.

- जवारे बोए हैं और अखंड ज्योति जलाई है तो घर खाली न छोड़ें.

- मूर्ति या तस्वीर के बाएं तरफ दीपक रखें.

- मूर्ति या तस्वीर के दायें तरफ जवारे बोएं.

- आसन पर बैठकर ही पूजा करें.

- जूट या ऊन का आसन होना चाहिए.

ऐसे करें हवन की शरुआत

सर्वप्रथम पंच देवो की आहुति निम्न प्रकार मंत्र बोलते हुए दे मंत्र के बाद स्वाहा अवश्य लगाए स्वाहा के साथ ही आहुति भी अग्नि में अर्पण करते जाए.

  • ॐ गं गणपतये स्वाहा
  • ॐ रुद्राय स्वाहा
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्वाहा
  • ॐ सूर्याय स्वाहा
  • ॐ अग्निदेवाय स्वाहा

निम्न मंत्रो से केवल घी की आहुती दे तथा आहुति से शेष बचा घी एक कटोरी में जल भर कर रखे उसमे डालते जाए.

इसके बाद निम्न मंत्रो से भी घी की आहुति दें तथा शेष घी की कटोरी के जल में डालते रहे.

  • ॐ दुर्गा देवी नमः स्वाहा
  • ॐ शैलपुत्री देवी नमः स्वाहा
  • ॐ ब्रह्मचारिणी देवी नमः स्वाहा
  • ॐ चंद्र घंटा देवी नमः स्वाहा 
  • ॐ कुष्मांडा देवी नमः स्वाहा
  • ॐ स्कन्द देवी नमः स्वाहा
  • ॐ कात्यायनी देवी नमः स्वाहा
  • ॐ कालरात्रि देवी नमः स्वाहा
  • ॐ महागौरी देवी नमः स्वाहा
  • ॐ सिद्धिदात्री देवी नमः स्वाहा

इन आहुतियों के बाद कम से कम 1 माला नवार्ण मंत्र से आहुति डाले

नवार्ण मंत्र

'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः स्वाहा'
 
नवार्ण मंत्र से आहुति के बाद साधक गण जिन्हें सप्तशती मंत्रो से हवन नही करना वे बची हुई हवन सामग्री को पान के पत्ते पर रखकर साथ मे अनार दाना और ऊपर बताई नंबर 2 सामग्री लेकर अग्नि में घी की धार बना कर छोड़ दे तथा हाथ मे जल लेकर हवन कुंड के चारो तरफ घुमाकर जमीन पर छोड़ दे इसके बाद माता की आरती कर क्षमा प्रार्थना करले इसके बाद कटोरी वाले जल को पूरे घर मे छिड़क दें.

सप्तशती पाठ करने वाले लोग दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद हवन खुद की मर्जी से कर लेते है और हवन सामग्री भी खुद की मर्जी से लेते है ये उनकी गलतियों को सुधारने के लिए है.

दुर्गा सप्तशती के वैदिक आहुति की सामग्री को पहले ही एकत्रित कर रखें

  • प्रथम अध्याय एक पान देशी घी में भिगोकर 1 कमलगट्टा, 1 सुपारी, 2 लौंग, 2 छोटी इलायची, गुग्गुल, शहद यह सब चीजें सुरवा में रखकर खडे होकर आहुति देना.
  • द्वितीय अध्याय  प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, गुग्गुल विशेष.
  • तृतीय अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक सं. 38 शहद.
  • चतुर्थ अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक सं.1से11 मिश्री व खीर विशेष.
  • चतुर्थ अध्याय के मंत्र संख्या 24 से 27 तक इन 4 मंत्रों की आहुति नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से देह नाश होता है. इस कारण इन चार मंत्रों के स्थान पर ओंम नमः चण्डिकायै स्वाहा’ बोलकर आहुति देना तथा मंत्रों का केवल पाठ करना चाहिए इनका पाठ करने से सब प्रकार का भय नष्ट हो जाता है.
  • पंचम अध्ययाय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक सं. 9 मंत्र कपूर, पुष्प, व ऋतुफल ही है.
  • षष्टम अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक सं. 23 भोजपत्र.
  • सप्तम अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक सं. 10 दो जायफल श्लोक संख्या 19 में सफेद चन्दन श्लोक संख्या 27 में इन्द्र जौं.
  • अष्टम अध्याय  प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 54 एवं 62 लाल चंदन.
  • नवम अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या श्लोक संख्या 37 में 1 बेलफल 40 में गन्ना.
  • दशम अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 5 में समुन्द्र झाग 31 में कत्था.
  • एकादश अध्याय  प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 2 से 23 तक पुष्प व खीर श्लोक संख्या 29 में गिलोय 31 में भोज पत्र 39 में पीली सरसों 42 में माखन मिश्री 44 मेें अनार व अनार का फूल श्लोक संख्या 49 में पालक श्लोक संख्या 54 एवं 55 मेें फूल चावल और सामग्री.
  • द्वादश अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 10 मेें नीबू काटकर रोली लगाकर और पेठा श्लोक संख्या 13 में काली मिर्च श्लोक संख्या 16 में बाल-खाल श्लोक संख्या 18 में कुशा श्लोक संख्या 19 में जायफल और कमल गट्टा श्लोक संख्या 20 में ऋीतु फल, फूल, चावल और चन्दन श्लोक संख्या 21 पर हलवा और पुरी श्लोक संख्या 40 पर कमल गट्टा, मखाने और बादाम श्लोक संख्या 41 पर इत्र, फूल और चावल
  • त्रयोदश अध्याय प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 27 से 29 तक फल व फूल.

नोटः  ऊपर दिए गए मंत्र संख्या अनुसार हवन करें शेष मंत्रो में सामान्य हवन सामग्री का ही प्रयोग करे हवन के आरंभ एवं अंत मे यथा सामर्थ्य अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र से आहुति डाले घी से दी गई आहुति को पात्र के जल में छोड़ते रहना है. नवार्ण आहुति के बाद पूर्ण आहुति के लिये एक सूखा नारियल (गोला) में सामग्री भर कर अग्नि में डाले तथा शेष बची सामग्री को नारियल पर घी की धार बांधते हुए उसी के ऊपर छोड़ दें आहुतियों के बाद अंत मे माता से प्रार्थना कर हाथ मे जल लेकर हवन कुंड के चारो तरफ घुमाकर जमीन पर छोड़ दे इसके बाद माता की आरती कर क्षमा प्रार्थना कर अग्नि से भस्मी निकालकर घर के सभी सदस्यों के तिलक करें पात्र के घी मिश्रित जल को घर मे छिड़क देंने से नकारत्मक शक्तियां खत्म हो जाती है. हवन के उपरांत यथा सामर्थ्य कन्याओं को भोजन करा दक्षिणा दे तदोपरान्त स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.

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