Sharadiya Navratri 2022: नवरात्रि के नौ दिन करें ऐसे पूजा, विधि, सामग्री, व्रत के नियम स्तुति और पाठ

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Sep 28, 2022, 08:08 PM IST

Navratri शुरू हो गई है, पूजा के नियम, सामग्री, कन्या पूजन की विधि, व्रत के नियम, देवी मां की स्तुति, मंत्र, जाप और मां दुर्गा की आरती, शुभकामनाएं

डीएनए हिंदी: Navratri Kalash Sthapana Pujan Vidhi Samagri Stuti Aarti Wishes- पूरे देश में नवरात्रि (Navratri 2022) का त्योहार शुरू हो गया है. जो लोग मां दुर्गा की भक्ति करते हैं उन लोगों ने नौ दिन का व्रत (Navratri Vrat) भी रखना शुरू कर दिया है. नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त देखकर मां की पूजा के लिए कलश स्थापना (Kalash Sthapana) हो गई है. नौ दिनों तक मां के अलग अलग रूपों की पूजा और उपासना की जाएगी. विधि के साथ पूजा पाठ करने से घर में सुख और समृद्धि आती है. नवरात्रि में घट स्थापना का खास महत्व है. आप अपने अपनों को आज के दिन की खास शुभकामनाएं (Navratri Wishes) दे सकते हैं, ताकि उनका आने वाला जीवन सुखमय हो. 

मान्यता है कि कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों और तीर्थों का निवास होता है.इनके अलावा कलश में भगवान ब्रह्मा,विष्णु,शिव समेत सभी नदियों,धार्मिक स्थानों और तैतीस कोटि देवी-देवता कलश में विराजते हैं.इसलिए इसकी स्थापना के बाद ही नवरात्रि के व्रत शुरू करने का विधान है. आज बस 45 मिनट तक ही कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त था. 

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कलश स्थापना का महत्व (Kalash Sthapana Significance) 


हिंदू धर्म में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान और विशेष अवसरों पर कलश स्थापना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. घर में प्रवेश करने से पहले भी कलश की स्थापना और पूजा होती है.नवरात्रि के पहले दिन यानि प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ देवी का आह्वान करते हुए 9 दिनों की पूजा शुरू हो जाती है. कलश स्थापना से घर में फैली सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और पूजा अच्छे से संपन्न होती है. 

कलश की पूजा कैसे करें (How to do Kalash Puja in hindi)

नवरात्रि पर सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं.मां दुर्गा इस दिन भक्तों के घर आती हैं ऐसे में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम और अशोक के पत्ते का तोरण लगाएं.नवरात्रि में माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए,जहां मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. उसके बाद रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की मूर्ति को स्थापित करें. उसके बाद विधिविधान से माता की पूजा करें.

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मां के पूजन की सामग्री (Pujan Samagri List)

देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के साथ फूल, फूल माला, आम के पत्ते, चौकी में बिछाने के लिए लाल रंग का कपड़ा, बंदनवार, सिंदूर, सोलह श्रृंगार (बिंदी, चूड़ी, तेल, कंघी, शीशा आदि), पंचमेवा, गंगाजल, नैवेध, जावित्री,नारियल जटा वाला, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पिसी हुई हल्दी, आसन, चौकी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, सूखा नारियल, नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या फिर चावलों को रंग लें, दूध, वस्त्र, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती आदि की व्यवस्था पहले से ही कर लें. उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण को पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है.

शास्त्रों में कलश पर नारियल रखने के विषय में बताया गया है कि “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।”यानी कलश पर नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ न हो. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें

पूजन के समय कई बातों का खयाल रखना चाहिए, दीपक किस तरफ जलाएं, मां की मूर्ति किस तरफ हो, अखंड ज्योत जलाने का भी विधान है.

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कन्या पूजा के लिए सामग्री (Kanya Pujan Samagri)

कन्या पूजन के लिए गंगाजल, साफ कपड़ा (कन्या का पैर साफ करने के लिए), रोली, अक्षत, पुष्प (फूल), कलावा, चुनरी, फल और मिठाई रख लें और दक्षिणा

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दुर्गा स्तुति (Durga Stuti) 


दुर्गे विश्वमपि प्रसीद परमे सृष्ट्यादिकार्यत्रये
ब्रम्हाद्याः पुरुषास्त्रयो निजगुणैस्त्वत्स्वेच्छया कल्पिताः ।
नो ते कोऽपि च कल्पकोऽत्र भुवने विद्येत मातर्यतः
कः शक्तः परिवर्णितुं तव गुणॉंल्लोके भवेद्दुर्गमान् ॥ १ ॥

त्वामाराध्य हरिर्निहत्य समरे दैत्यान् रणे दुर्जयान्
त्रैलोक्यं परिपाति शम्भुरपि ते धृत्वा पदं वक्षसि ।
त्रैलोक्यक्षयकारकं समपिबद्यत्कालकूटं विषं
किं ते वा चरितं वयं त्रिजगतां ब्रूमः परित्र्यम्बिके ॥ २ ॥

या पुंसः परमस्य देहिन इह स्वीयैर्गुणैर्मायया
देहाख्यापि चिदात्मिकापि च परिस्पन्दादिशक्तिः परा ।
त्वन्मायापरिमोहितास्तनुभृतो यामेव देहास्थिता
भेदज्ञानवशाद्वदन्ति पुरुषं तस्यै नमस्तेऽम्बिके ॥ ३ ॥

स्त्रीपुंस्त्वप्रमुखैरुपाधिनिचयैर्हीनं परं ब्रह्म यत्
त्वत्तो या प्रथमं बभूव जगतां सृष्टौ सिसृक्षा स्वयम् ।
सा शक्तिः परमाऽपि यच्च समभून्मूर्तिद्वयं शक्तित-
स्त्वन्मायामयमेव तेन हि परं ब्रह्मापि शक्त्यात्मकम् ॥ ४ ॥

तोयोत्थं करकादिकं जलमयं दृष्ट्वा यथा निश्चय-
स्तोयत्वेन भवेद्ग्रहोऽप्यभिमतां तथ्यं तथैव ध्रुवम् ।
ब्रह्मोत्थं सकलं विलोक्य मनसा शक्त्यात्मकं ब्रह्म त-
च्छक्तित्वेन विनिश्चितः पुरुषधीः पारं परा ब्रह्मणि ॥ ५ ॥

षट्चक्रेषु लसन्ति ये तनुमतां ब्रह्मादयः षट्शिवा-
स्ते प्रेता भवदाश्रयाच्च परमेशत्वं समायान्ति हि ।
तस्मादीश्वरता शिवे नहि शिवे त्वय्येव विश्वाम्बिके
त्वं देवि त्रिदशैकवन्दितपदे दुर्गे प्रसीदस्व नः ॥ ६ ॥
॥ इति श्रीमहाभागवते महापुराणे वेदैः कृता दुर्गास्तुतिः सम्पूर्णा ॥


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किस दिन क्या भोग लगाएं 

मां शैलपुत्री- मां को गाय के घी का भोग लगाना शुभ। इससे आरोग्य की प्राप्ति होती है

मां ब्रह्मचारिणी- नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाएं

मां चंद्रघंटा- मां को दूध से बनी मिठाइयां,खीर आदि का भोग लगाएं

मां कूष्मांडा- नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है

मां स्कंदमाता- पांचवें दिन स्कंदमाता को केले का भोग चढ़ाया जाता है

मां कात्यायनी- नवरात्रि के छठें दिन देवी कात्यायनी को हलवा,मीठा पान और शहद का भोग लगाएं

मां कालरात्रि-  सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होती है। इस दिन देवी कालरात्रि को गुड़ से निर्मित चीजों का भोग लगाना चाहिए

मां महागौरी- माता महागौरी को नारियल का भोग बेहद प्रिय है, इसीलिए नवरात्रि के आठवें दिन भोग के रूप में नारियल चढ़ाएं 

मां सिद्धिदात्री- माता सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाएं

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देवी मां की आरती (Devi Maa Aarti)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर विराजत, टीको जगमद को।
उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शव पटरानी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।

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पूजन और व्रत के दौरान इन बातों का रखें खयाल, क्या हैं नियम 

अगर आप नौ दिन व्रत रखते हैं तो उस हिसाब से घर में सात्विक भोजन बनाएं, प्याज लहसुन बिल्कुल ना बनाएं 
अखंड ज्योत का ध्यान रखें, सुबह शाम ज्योत जलती रहे 
सुबह शाम मां की आरती करें और भोग भी लगाएं 
मां के मंत्र उच्चारण करें और पाठ जरूर करें.
पाठ करने का एक समय निर्धारित करें 
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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