डीएनए हिंदी: Maa Katyayani, Power of Taking Right Decision- BK Yogesh- नवरात्रि के छठे दिन (Navratri Sixth Day) देवी कात्यायिनी की पूजा व आराधना की जाती है. मां कात्यायिनी नारी का परिपक्व स्वरूप हैं, जब वह जीवन के अंदर कई प्रकार के अनुभवों को प्राप्त कर परिपक्वता को हासिल कर लेती हैं, जहां वो अपने परिवार को हर प्रकार की बुराइयों से सुरक्षित रखती है, दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती है और सभी को सक्षम बनाती है. देवी इसका ही उदाहरण हैं. ब्रह्माकुमारीज की सीनियर राजयोगा टीचर बीके उषा हमें रोजाना देवियों के स्वरूपों के आध्यात्मिक रहस्य और उनकी शक्तियों के बारे में बताती हैं.
मां कात्यायिनी निर्णय शक्ति का प्रतीक हैं (Power of Right Decision Making)
अपने परिवार को बुराइयों से सुरक्षित करने के लिए, उनमें नई चेतना, नया उमंग-उत्साह और आत्मविश्वास भरने के लिए, नारी में सही निर्णय शक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है. अपने अंदर दिव्यता को जाग्रत करने के लिए, जिस शक्ति की हमारे अंदर सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है, वो है निर्णय शक्ति. जब सारी शक्तियां बैलेंस में होंगी तो दिव्यता हमारे जीवन जीने का तरीका बन जायेगी.
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ऐसा कहा जाता है कि मांकात्यायिनी सर्व अलंकारों से सुसज्जित हैं और पापात्माओं से कई प्रकार के असुरों से अपने परिवार की सुरक्षा करती हैं. स्वाभाविक है कि एक मां जब एक परिवार का सृजन करती है, उसकी पालना करती है, तो तीसरा स्वरूप संहारिणी का है कि हर प्रकार की बुराइयों से अपने परिवार को सुरक्षित रखने की ज़िम्मेवारी भी वो खुद की समझती है. इसलिए वो हर रीति से अपने आपको तैयार रखती है. वह चाहती है कि आज जो हमारे समाज में दूषित वातावरण है, वह अपने परिवार के सदस्यों को उससे दूर रखे. उसके लिए वो हर रीत से उनको प्रोटेक्ट करने के लिए, उन्हें संभालने के लिए, स्वयं को तैयार करती है. ऐसी अनुभवी व परिपक्व हो जाती है, जिस कारण से दृढ़ता की शक्ति को अपनाकर आत्म विश्वास के साथ परिवार के सदस्यों में भी अगर कोई प्रकार की निराशा आये, उदासी आये, उसको वो दूर करने के लिए वो हर यत्न करती है.
नारी का यह स्वरूप ही हमारे अंदर एक निश्चिंतता लाता है कि कुछ भी हो जाए लेकिन हमारे साथ मां है और उनके पास जब उनका बच्चा जाता है तो उसकी हर कमज़ोरी को वो दूर करने में सक्षम होती है. इसलिए मां का ध्यान हमेशा हर रीति से स्वयं के अंदर दृढ़ता की शक्ति को धारण कर सफलता को प्राप्त कराता है. इसलिए कहा जाता है कि जहां दृढता है, वहां सफलता है. इसलिए हर सफल पुरुष के पीछे एक नारी का हाथ होता है. कहावत है "Behind every successful man, there is a woman." चाहे मां हो, पत्नी हो, बेटी हो.
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मन, वचन कर्म में पवित्रता (Purity in Mind, Body and Work)
जब हर कर्म दिव्य और सतोगुणी हो जायेगा, इससे उपरोक्त संस्कार जो हम चाहते हैं जब राजयोग के माध्यम से हमारे जीवन में दिव्यता आने लगती है, तो हम में परख शक्ति ऑटोमेटिकली आ जाती है. स्त्री और पुरुष दोनों में अपने कर्म को परखना बहुत आवश्यक होता है - परमात्मा शिव कहते हैं कि चेक करो - मेरे संकल्प, बोल, कर्म, यहां तक कि स्वप्न में अपवित्रता तो नहीं है? यानी हमें परखना है कि हमारे संस्कार राइट हैं या रॉंग? एक बार परख लिया तो अगली शक्ति, निर्णय शक्ति ऑटोमेटिकली आ जायेगी.
यह स्वरूप भी बहुत सम्माननीय है और आज हर परिवार में, ऐसी नारी की आवश्यकता है, जो परिवार का आधार बन जाए. जो बच्चों को, किसी भी सदस्य को कोई भी समस्या हो, वह उनमें उमंग उत्साह भरकर आगे बढ़ाये. उसको हर रीति से आत्मविश्वास से संपन्न करती है, कोई भी क्षेत्र में सफल होने के लिए प्रेरित करती है. तो चलिए अपने अंदर भी परमात्मा से वो शक्ति प्राप्त करें ताकि हम अपने आपको आत्म विश्वास से मजबूत कर सकें और दृढ़ता के साथ जीवन को सफल बना सकें
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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