Navratri Story : कैसे 'सिंह' बना था शेरावाली का वाहन, क्या आप जानते हैं इसके बारे में?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 27, 2022, 04:36 PM IST

ऐसे बना सिंह मां शेरावाली का वाहन

हम आज इस लेख के द्वारा आपको मां दुर्गा की सवारी सिंह के बारे में बता रहे हैं. तो चलिए जानते हैं आखिर मां दुर्गा क्यों करती हैं सिंह की सवारी?

डीएनए हिंदीः (Lion is the 'vahana' or vehicle of Maa Durga) सनातम धर्म में शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) का पावन पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हुआ है. जो कि आने वाले साल के लिए काफी शुभ माना जा रहा है. वैसे तो मां दुर्गा के कई रूप हैं और उन स्वरूपों के लिए अलग-अलग वाहन भी हैं, इन सभी में मां दुर्गा का प्रमुख वाहन सिंह है. नवरात्रि के पर्व पर हम आपके साथ मां दुर्गा और नवरात्रि से जुड़ी तमाम कथाएं व जानकारियां साझा कर रहें हैं, इसी क्रम में हम आज इस लेख के द्वारा आपको मां दुर्गा की सवारी 'सिंह' के बारे में बता रहे हैं. चलिए जानते हैं, आखिर मां दुर्गा क्यों करती हैं सिंह की सवारी? और क्या है इसके पीछे की वजह? 

ऐसे बना सिंह मां शेरावाली का वाहन (Sher Kayse Bna Maa Durga Ka Vahana)

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शिव अनंत काल के लिए समाधिस्थ हो गए और सालों तक समाधि में लीन रहे. इस दौरान माता पार्वती शिव जी की प्रतीक्षा करती रहीं, प्रतीक्षा करते करते काफी समय बीत गया फिर भी भगवान शिव नहीं आए. तब माता पार्वती भी कैलाश पर्वत छोड़ कर घने जंगलों में तपस्या करने चली गईं. जिस वक्त मां पार्वती तपस्या में लीन थी तभी वहां एक भूखा सिंह आ गया जो माता पार्वती को आहार बनाना चाह रहा था लेकिन वह माता द्वारा बनाए गए सुरक्षा चक्र के घेरे को पार नहीं कर सका. जिसके बाद सिंह माता पार्वती के तपस्या से उठने का इंतजार करने लगा ताकि वह उनका शिकार कर सके.

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भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें वापस कैलाश पर्वत पर ले जाने के लिए आ गए. इस दौरान माता पार्वती की नजर सिंह पर पड़ी जो अब भी उनका तपस्या से उठने का इंतजार कर रहा था. मां पार्वती उसकी इच्छा समझ गईं और उनको उसपर दया आ गई. माता पार्वती ने सिंह की प्रतीक्षा को तपस्या मान लिया और उसे अपने साथ ले गईं.

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प्रचलित है एक और कथा 

इसके अलावा  इस संदर्भ में एक औऱ कथा भी प्रचलित है, इसके अनुसार भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने देवासुर संग्राम में दानव तारक और उसके दो भाई सिंहमुखम और सुरापदमन नामक असुरों को पराजित कर दिया. जिसके बाद सिंहमुखम  ने भगवान कार्तिकेय के आगे  क्षमा याचना की जिससे प्रसन्न हो कर उन्होंने सिंहमुखम को शेर बना दिया और मां दुर्गा का वाहन बनने का आशीर्वाद प्रदान किया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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