डीएनए हिंदी: Navratri Second Day Shakti, Maa Brahmacharini/ Maa Jagdamba- BK Yogesh- नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, मां ब्रह्मचारिणी नारी का दूसरा स्वरूप हैं, जिसे किशोरी रूप में दिखाया गया है. इसका अर्थ है नारी को किशोरी अवस्था में ही ईश्वरीय ज्ञान का आचरण करना है. इसलिए इन्हें घोर तपस्या करते हुए दर्शाया गया है. ब्रह्मचारिणी दुर्गा मां का प्रतीक है. आत्मा की आठ शक्तियों (Soul Eight Powers) को देवियों की भूजाओं के साथ मिलाया गया है. ब्रह्माकुमारीज की सीनियर राजयोगा टीचर बीके उषा हमें देवियों के नौ स्वरूप हमें किन शक्तियों को अपने अंदर भरने की प्रेरणा देते हैं इस बारे में बता रही हैं.
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Let Go करने की शक्ति
देवी दुर्गा हमें सिखाती हैं कि अतीत की कड़वाहट को भूलकर आगे बढ़ें, वर्तमान में जीना सीखें. (Forget your Past and Live in the Present) हम आत्मा को भी अपने जीवन में इस शक्ति को लाना है. हमने आज भर बहुत सी बातें पकड़कर रखी हैं, हमारे अतीत की बातें, किसी के साथ कुछ हो गया वो बातें, कड़वाहट. जब तक हम लेट गो नहीं करेंगे तब तक आत्मा शक्तिशाली नहीं बनेगी. जो बीत गया उसे बिंदी लगाएं. एक दिन जब हमें शरीर छोड़ना है, वो अचानक ही होगा, तब अगर हम चीजों को छोड़ने की, माफ करने की कोशिश करेंगे तो मुश्किल होगा, इसलिए हमें पहले से ही इसका अभ्यास करना है. लोगों से माफी मांगनी है और लोगों को माफ करना है.
जीवन खत्म होने के बाद नहीं, जीवन जीते हुए लेट गो करना है. जीवन को समेट लेना,अतीत,उम्मीदें, किसी कड़वाहट को पकड़कर नहीं रखना है, इससे आत्मा की शक्ति घटती जाएगी. जीवन में विस्तार नहीं करना, अतीत की बातों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है. क्यों क्या इसमें अटकना नहीं है. लोगों की गलतियां भूल जानी है, इससे हम खुश और शांत रहेंगे.
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देवी की कथा (Devi Katha in Hindi)
संसार में एक ऐसा समय भी था,जब नारी की अवस्था पुरुषों के बराबर थी बल्कि पुरुषों से भी एक कदम आगे थी. यही वह समय था जब इस भारत में देवताओं का साम्राज्य था. इसलिए भारत में अधिकांश देवी देवताओं में नारी का नाम पहले आता है. पुरुष का बाद में, जैसे श्री लक्ष्मी-श्री नारायण,श्री सीता-श्री राम,श्री राधा-श्री कृष्ण. यह ध्यान देने योग्य बात है कि जब भी हम पूजा करते हैं तो देवी देवताओं को एक साथ रखकर पूजन किया जाता है. प्राचीन काल यानि सतयुग और त्रेतायुग में रानियों का कितना सम्मान था,परन्तु मध्यकाल के आते ही नारियों को पीछे रखा जाने लगा. पर्दा प्रथा शुरू हो गई, जहां उन्हें परदे में रखा जाने लगा. उसके बाद उनका शोषण किया जाने लगा, अत्याचार किये जाने लगा और हर रीति से उनको पुरुषों से पीछे धकेल दिया गया.
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ब्रह्मचारिणी का अर्थ (Meaning and Significance of Brahmacharini)
ब्रह्मचारिणी अर्थात ब्रह्मा समान आचरण अपनाने वाली, जब धर्मग्लानि के समय निराकार परमपिता परमात्मा कल्याणकारी शिव गीता में अपने वायदे अनुसार, इस धरा पर अवतरित होते हैं, तब वह जिस तन का आधार लेते हैं, उसको वह ब्रह्मा नाम देते हैं. इसलिए गाया गया है - बूढ़ो ब्राह्मण बनके कंचन महल कियो, तो हम सब मनुष्य आत्माओं के रक्षक पतित पावन शिव बाबा, ब्रह्मा के वृद्ध अर्थात अनुभवी और भाग्यशाली रथ द्वारा हमें आत्मा, परमात्मा और सृष्टि के आदि मध्य अंत का ज्ञान देते हैं और हमें पावन बनाने की सर्वश्रेष्ठ मत देते हैं.
यह ब्रह्मा ही उनकी श्रीमत पर पूरी रीति चलकर, आने वाली सतयुगी दुनिया में श्रीमत में श्रीकृष्ण का सर्वोच्च पद पाते हैं. ऐसी नंबर वन वाली आत्मा ब्रह्मा को पूरा फॉलो करने वाली अनेको नारियां शिव शक्ति का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी कहलाती हैं, तो आइये, आज नवरात्रों के दूसरे दिन, ब्रह्मा जैसा आचरण (त्याग, तपस्या, विश्व सेवा करने वाली मां ब्रह्मचारिणी के समान बनें)
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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