Devi Shaktipeeth: इस नवरात्रि जरूर जाएं नेपाल के गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, देवी का गिरा था गुप्तांग

सुमन अग्रवाल | Updated:Sep 21, 2022, 01:08 PM IST

इस नवरात्रि जरूर जाएं नेपाल के गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, देवी का शौच अंग गिरा था यहां

Nepal में guhyeshwari shaktipeeth है, इस नवरात्रि जरूर वहां दर्शन के लिए जाएं, क्या है मंदिर का इतिहास और महिमा जरूर पढ़ें

डीएनए हिंदी : Nepal Shaktipeeth History and Significance in Hindi- 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ नेपाल में है. देवी मां का यह मंदिर पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) से कुछ ही दूरी पर बागमती नदी के किनारे स्थित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में माता के दोनों जानु (घुटने) गिरे थे. इस शक्तिपीठ में भगवान शिव भैरव कपाल रूप में मौजूद हैं. इस मंदिर के छिद्र में निरंतर जल बहता रहता है, यह 2500 साल पुराना मंदिर है. नवरात्रि (Navratri 2022) के समय पर इस मंदिर में मां के दर्शन के लिए भारत से भी बहुत लोग आते हैं. आईए जानते हैं इस मंदिर की महिमा, इतिहास और क्या है खास.

शक्तिपीठ का इतिहास और महत्व (Nepal Shaktipeeth History and Significance)

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में राजा प्रताप मल्ला ने करवाया था, हर साल नवरात्र के दौरान मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत से भी लोग मंदिर के दर्शन करने जाते हैं. इस शक्तिपीठ की शक्ति, महामाया और शिव कपाल हैं. इन्हें गुह्याकाली भी कहा जाता है. गुह्येश्वरी दो शब्दों गुह्या (सीक्रेट)और ईश्वरी (देवी) को मिलाकर बना है. यहां मान्यता है कि जो भी मांगो सब मिलता है. यह काठमांडू में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में से एक है. ऐसी मान्यता है कि यहां देवी सती के शरीर से संधिस्थल (शौच अंग) गिरे थे,जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. यहां नवरात्रि के साथ 10 दिवसीय दशैन उत्सव भी मनाया जाता है.

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क्या है शक्तिपीठ का महत्व

दुनियाभर में हिंदू कई त्योहारों जैसे दुर्गा पूजा,काली पूजा,नवरात्रि से देवी की शक्ति की पूजा करते हैं. देवी की शक्ति के कारण ही शक्तिपीठ अस्तित्व में आए, भारतीय आध्यात्मिक इतिहास में शक्तिपीठों का बहुत महत्व है. हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार माता सती के अंग या आभूषण जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए. ये शक्तिपीठ भारत के पूरे उपमहाद्वीपों में फैले हुए हैं. वैसे तो देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन है लेकिन देवी पुराण में मात्र 51 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है

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