डीएनए हिंदी: व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष (Mangal Dosh) हो तो उसके शादी विवाह संबंधित कार्यों में दिक्कत आती है. मंगल दोष (Mangal Dosh) से पीड़ित जातक की शादी मंगल पीड़ित जातक से ही होनी चाहिए. यदि ऐसा न हो तो दोनों का दाम्पत्य जीवन में बहुत सी परेशानियां होती हैं. कई बार क्लेश के चलते जीवनसाथी से रिश्ता भी टूट जाता है. मंगल दोष (Mangal Dosh) व्यक्ति की कुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, और द्वादश भाव में मंगल के होने से होता है.
मंगल ग्रह (Mangal Grah) के पाप कुंडली में होने का प्रभाव (Mangal Dosh Prabhav) विधवा, विधुर, रिश्ता टूटने और अकालमृत्यु के रूप में मिलता है. ऐसे में जातक को इन सभी प्रभावों से बचाने के लिए जरूरी है कि मंगल दोष का उपाय किया जाए. जन्मकुंडली में लग्नेश को मजबूत कर जातक को इन सभी समस्याओं से बचाया जा सकता है. तो चलिए ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मजूमदार से मंगल दोष परिहार (Mangal Dosh Upay) के नियम जानते हैं.
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मंगल दोष परिहार के नियम (Mangal Dosh Upay)
- कुंडली में मंगल दोष समान न मिलें तो अन्य ग्रहों राहु और सूर्य की स्थिति भी देख सकते हैं. मंगल के समान ही लग्न, चतुर्थ, सप्तम, और द्वादश भाव में राहु और सू्र्य का होने से मंगल दोष का परिहार हो जाता है.
- लड़का और लड़की दोनों की ही कुंडली में मंगल या पाप ग्रह समान हो, तो विवाह शुभ होता है. ऐसे में विवाह दीर्घायु तथा अच्छी पुत्र-पौत्र संतति वाला होता है.
- लग्न भाव में मेष का मंगल हो तो यह मंगल दोष नहीं माना जाता है. इसी प्रकार चौथे भाव में वृश्चिक राशि का मंगल, सातवें भाव में मीन का, आठवें भाव में कुंभ का और बारहवें भाव में धनु का मंगल प्रभावि नहीं होता है.
- लड़का-लड़की के 30 या 30 से अधिक गुण मिल रहे हो, तो भी मंगली दोष नहीं होता है. गुरु के साथ होने पर भी मंगल दोष नहीं होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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