डीएनए हिंदीः क्या आपको पता है कि नवरात्रि पर अगर आपने देवी पूजा विधिवत की और हर मंत्र का सही उच्चारण किया, फिर भी आपको पूरा पुण्य लाभ नहीं मिलेगा अगर आपने कन्याओं का पूजन नहीं किया.
नवरात्रि में कन्या पूजन किस उम्र की कन्या या कितनी संख्या में हो रही है उसका फल उसी अनुसार मिलता है. इसलिए नवरात्रि में
अगर आप किसी विशेष मनोकामना के साथ कन्या पूजन कर रहे हैं तो आपको कन्या की उम्र ही नहीं, संख्या का भी ध्यान रखन होगा तो चलिए आपको आज कन्या पूजन की संपूर्ण विधि के साथ कुछ और महत्वपूर्ण बातों की जानकारी दें.
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कन्या पूजन की संपूर्ण विधि पहले जानें
सर्वप्रथम यह तय कर लें कि कन्या का पूजन प्रतिदिन नवरात्रि में करना है या अष्टमी और नवमी को ही करन है. अगर आपकी कोई विशेष कामना है तो आपको सर्वप्रथम यह जान लेना चाहिए कि नवरात्रि के प्रतिदिन कन्याओं का दिन के अनुसार पूजन करना चाहिए. तो चलिए पहले कन्या पूजन का विधान जान लें.
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कन्या पूजन का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन में 9 कन्याओं का पूजन जरूरी होता है और इसे दो बालक भी होने चाहिए लेकिन नवरात्रि के पहले से आखिरी दिन के बीच कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या दिन अनुसार बढ़ानी चाहिए. जैसे पहले दिन एक दूसरे दिन दो और नौवें दिन नौ. एक कन्या के पूजन से लेकर नौ कन्या के पूजन तक भक्त को क्या पुण्यफल मिलता है चलिए जानें.
नोटः नवरात्रि पूजा में कन्याओं की उम्र छह महीने से 9 साल तक होनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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