Novermber 2022 Vrat List: तुलसी विवाह से लेकर मांगलिक कार्यों की शुरुआत तक, ये है व्रत-पूजा की लिस्ट

सुमन अग्रवाल | Updated:Oct 28, 2022, 12:23 PM IST

नवंबर में कई मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी, तुलसी विवाह और शादियों के मुहूर्त हैं, जानें व्रत, त्योहार और पूजा की डेट्स

डीएनए हिंदी: November Puja Festival Vrat Tyohar List- जैसे अक्टूबर का महीना त्योहार और व्रत से भरपूर था ठीक वैसे ही नवंबर (November Fast) का महीना भी व्रत और त्योहार के लिहाज से बहुत ही खास है.  इस महीने से शादी विवाह के मुहूर्त प्रारंभ होने जा रहे हैं, इसके साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाएगी. आईए जानते हैं नवंबर की शुरुआत किन व्रत और त्योहार से हो रही है. तुलसी विवाह, हरि प्रवोधोत्सव, आंवला नवमी, ग्रह नक्षत्र के हिसाब से भी यह महीना काफी अहम है, इस महीने कई राशि के ग्रहों में परिवर्तन होगा.

01 नवंबर 2022- गोपाष्टमी
02 नवंबर 2022-अक्षय नवमी
04 नवंबर 2022- देवउठनी एकादशी, भीष्म पंचक प्रारंभ
05 नवंबर 2022- तुलसी विवाह
06 नवंबर 2022- वैकुण्ठ चतुर्दशी, विश्वेश्वर व्रत
07 नवंबर 2022- देव दिवाली
08 नवंबर 2022- कार्तिक स्नान समाप्त, सत्य व्रत, गुरु नानक जयंती, कार्तिक पूर्णिमा
11 नवंबर 2022-सौभाग्य सुन्दरी व्रत 
12 नवंबर 2022- संकष्टी चतुर्थी
16 नवंबर 2022- काल भैरवाष्टमी, वृच्छिक संक्रांति
20 नवंबर 2022- उत्पन्ना एकादशी
28 नवंबर 2022- विवाह पंचमी
29 नवंबर 2022- चम्पा षष्ठी

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कब कौन से व्रत-त्योहार हैं 

1 नवंबर को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस व्रत में गाय की पूजा होती है. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था, आठवें दिन भगवान इंद्र ने अपना अहंकार भूलाकर भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगी थी, तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी उत्सव मनाया जाता है

अक्षय नवमी या आंवला नवमी तिथि को अक्षय कूष्माण्ड नवमी कहा जाता है. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है, इसी के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा होती है. कहते हैं कि भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की तिथि तक आंवले के पेड़ में निवास करते हैं, ऐसे में व्रत करना भी शुभ माना जाता है. 

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कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह मनाया जाएगा, इस दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह कराया जाता है. 4 नवंबर को देव उठानी एकादशी भी होती है, इस दिन के बाद से देव उठ जाते हैं और विष्णु भगवान भी चार माह की नींद के बाद जगते हैं. 

इसी मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसे वैकंठ चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस बार बैकुंठ चतुर्दशी 6 नवंबर को है. इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.

कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान करने का काफी महत्व है, इस दौरान गणेश लक्ष्मी की पूजा भी होती है. 

भैरव अष्टमी के दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को शत्रुओं का भय नहीं रहता. इस दिन भैरव बाबा की पूजा की जाती है. 

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