Tulsi Puja Niyam: तुलसी की मंजरी तोड़ने का जान लें नियम, इस दिन छूना भी है वर्जित

ऋतु सिंह | Updated:Mar 19, 2024, 01:57 PM IST

तुलसी पूजा के नियम

आज जानिए तुलसी का पेड़ कब लगाएं, कैसे पूजा करें और किस दिन तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए.

हिंदू धर्म में तुलसी को देवी कहा जाता है. इनकी पूजा की जाती है और इन्हें घर में रखने के लिए कई नियम बनाए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस घर में नियमित रूप से तुलसी की पूजा की जाती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है.

यही कारण है कि लोग घर में तुलसी का पौधा लगाना और रोजाना विधि-विधान से पूजा करना शुभ मानते हैं. क्योंकि हमारे शास्त्रों में तुलसी को माता कहा गया है और इसका धार्मिक महत्व भी बताया गया है. इन्हें घर में रखने से वास्तु दोष दूर होता है और सुख-समृद्धि आती है.

तो आज जानिए तुलसी का पेड़ कब लगाना चाहिए, कैसे पूजा करनी चाहिए, आपने तुलसी से जुड़े कई नियम सुने होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पवित्र तुलसी के पेड़ की पत्तियां और मंजरी को कब तोड़ना चाहिए?

जानिए मंजरी से जुड़े नियम

ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पेड़ पर लगी मंजरी तुलसी माता के सिर का बोझ है, इसलिए इसे तोड़ देना चाहिए. लेकिन जैसे ही वे भूरे हो जाएं तो उन्हें तोड़ लें. इसे कभी भी रविवार या मंगलवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए. तुलसी की पत्तियों को भी कभी मंगलवार और रविवार नहीं तोड़ना चाहिए. यह भी कहा जाता है कि जब भी तुलसी पर मंजरी लगे तो उसे बिना तोड़े साफ लाल कपड़े में लपेटकर मंदिर में रख देना चाहिए. इसके अलावा तुलसी के पत्ते तोड़ने के बाद इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वह आपके पैरों के नीचे न गिरे.

इस दिन तुलसी को छूना भी है वर्जित

तुलसी के पौधे को हर रोज जल देने और पूजा करने का विधान है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रविवार और मंगलवार के दिन तुलसी के पौधे को जल नहीं देना चाहिए और न ही तुलसी के पौधे को छूना या पत्ते तोड़ने चाहिए.

भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी

तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है इसलिए विष्णु पूजा में तुलसी चढ़ाई जाती है. द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु को तुलसी मंजरी अर्पित की जाती है. तुलसी माता को माँ लक्ष्मी का ही एक रूप माना जाता है. कहा जाता है कि तुलसी माता की पूजा करने से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. यही कारण है कि लोग न केवल तुलसी माता की पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं, बल्कि शाम के समय तुलसी के दीपक भी जलाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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