डीएनए हिंदीः नया साल यानी 2023 आने में अब कुछ ही दिन शेष हैं. नए साल का पंचाग बता रहा है कि अगला साल 13 महीने का होगा और भगवान शिव का प्रिय माह भी 2 महीने का होगा. असल में ऐसा मलमास के कारण होने वाला है. नए साल में मलमास के चलते ही अधिक दिन हो रहे हैं.
साल 2023 मलमास वाला साल होगा और सावन माह दो माह का रहेगा जिसकी अवधि 59 दिनों की होगी. 19 साल बाद ये संयोग फिर से लौट रहा है जब सावन दो महीने तक होगा. बता दें कि हर तीन साल पर एक अतिरिक्त मास होता है जिसे अधिकमास या मलमास के नाम से जानते हैं. इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है.
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मलमास की अवधि 18 जुलाई से 16 अगस्त तक होगी
18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा और हर 32 महीने और 16 दिन के बाद मलमास पड़ता है. बता दें कि जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करता है तो संक्रांति होती है. सौर मास में 12 और राशियां भी 12 होती है लेकिन जब दोनों पक्षों में संक्रांति नहीं होती है तब अधिकमास या मलमास होता है.
मलमास में भगवान विष्णु की पूजा का विधान
मलमास में भगवान विष्णु का पूजा का विधान होता है. इस मास में ग्रह शांति, दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, विष्णु मंत्रों का जाप करना चाहिए इससे मलमास के अशुभ फल कटते हैं और पुण्यफल मिलते हैं.
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चार जुलाई से 31 अगस्त तक रहेगा सावन मास
सूर्य मास और चंद्र मास की गणना से ही हिंदू कालेंडर यानी पंचाग बनता है. अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है. इसका आगमन सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है. भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है. वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर होता है.
शुभ मांगलिक कार्य वर्जित
मलमास यानी अधिकमास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. शादी-विवाह, नामकरण, मुंडन, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, व्यापार का शुभारंभ या नई चीजें की खरीद की मनाही होती है.
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