डीएनए हिंदी: एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और विशेष होता है. हर माह में दो एकादशी आती है. इस हिसाब से साल में 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं. इस बार पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. पाप और दोष दूर हो जाते हैं. इस दिन व्रत रखने से अनेकों अश्वमेघ और सूर्य यज्ञ करने के समान फल की प्राप्ति होती है. शास्त्रों की मानें तो मनुष्य को कठिन तपस्या करने पर जितना फल मिलता है. उसे कहीं ज्यादा फल एकादशी पर व्रत करके मिलता है. भगवान श्रीविष्णु की सीधी कृपा होती है. व्यक्ति को यमलोक में दुख नहीं भोगने पड़ते हैं.
दरअसल जिन पाप और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति जीवन पर पूजा जप और तप करता है. उतना ही फल उसे सिर्फ एक एकादशी व्रत करने से मिलता है. हर माह आने वाली एकादशी का एक अलग महत्व होता है. इस माह भी पापांकुश एकादशी व्रत किया जाएगा. पापांकुश एकादशी 25 अक्टूबर 2023 को होगी. इस दिन व्रत करने, कथा बढ़ने और पूजा अर्चना करने मात्र से ही भगवान श्रीविष्णु की कृपा प्राप्त होगी. आइए जानते हैं इसकी कथा, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त
पापांकुश एकादशी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय विध्यांचल पर्वत पर क्रोधना नाम का एक बहुत ही क्रूर शिकारी रहता था. उसने अपनी पूरी जिंदगी उल्टे सीधे कामों को करने में ही निकाल दी. कई गलत कर्म और बेजुबान जीवों को मारकर वह पाप का भागी बन चुका था, जब उसका अंतिम समय आया तो मृत्यु के डर से वह सहमा हुआ. अंगिरा ऋषि के पास पहुंचा. क्रोधना ने महर्षि से बोला कि उसने जीवन में अनेक पाप किए हैं, जिससे मृत्यु के बाद उसे निश्चित ही नर्क मिलेगा. भयभीत क्रोधना ने ऋषि से इन पापों का पार्यश्चित करने का उपाय जाना.
एकादशी का व्रत रखने से ही धुल गए पाप
अंगिरा ऋषि को क्रोधना शिकारी पर पर दया आ गई. इस पर उन्होंने शिकारी को पापांकुशा एकादशी के महत्व के बारे में बताया. साथ ही इस दिन भगवान श्रीविष्णु की पूजा अर्चना के बारें में बताया. अंगिरा ऋषि के कहने पर क्रोधना ने एकादशी का व्रत रखकर विधि विधान से श्रीहरि की आराधना की. व्रत के प्रभाव से उसे समस्त पाप कर्म से छुटकारा मिल गया. उसे बैकुंठ लोक में स्थान मिला.
पापांकुश एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस बार पापांकुश एकादशी की तिथि अश्विन शुक्ल में 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट से शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 25 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर खत्म होगी. वहीं व्रत का पारण 26 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 28 मिनट से सुबह 8 बजकर 43 मिनट होगा.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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