Mahalaya Amavasya 2022: क्यों इस अमावस्या को कहते हैं पितृ अमावस्या, जानिए तिथि और तपर्ण विधि

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 25, 2022, 10:55 AM IST

Pitru amavasya or mahalaya amavasya kab hai- क्या है इस अमावस्या का महत्व, कैसे करें पितृ अमावस्या में पूजा, विधि, तपर्ण की जानकारी यहां

डीएनए हिंदी : Mahalaya Amavasya 2022 kab hai- पंचांग के अनुसार इस साल पितृ अमावस्या सितंबर में पड़ रही है. इस अमावस्या का काफी महत्व है, यह आम अमावस्या नहीं है. पितृ अमावस्या हर साल आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन मनाई जाती है. इसको महालया अमावस्या (Mahalaya Amavasya 2022) भी कहते हैं. इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण,पिंडदान,श्राद्ध कर्म करने का विधान है. इस साल पितृ अमावस्या 25 सितंबर को पड़ रही है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा यानी 10 सितंबर से पितृ पक् शुरू हो रहे हैं और महालया अमावस्या के दिन खत्म हो रहे हैं. उस दिन महालया भी मनाई जाती है. आईए जानते हैं इसकी विधि और पूजन का महत्व

जानिए पितृ अमावस्या या महालया अमावस्या की तिथि (Mahalaya Amavasya or Pitru Amavasya Date and Tithi)

वैदिक पंचांग के मुताबिक सर्वपितृ अमावस्या इस बार 25 सितंबर को पड़ रही है. आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि की शुरुआत 25 सितंबर को सुबह 3 बजकर 11 मिनट से आरंभ हो रही है, वहीं अमावस्या तिथि की समाप्ति 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 22 मिनट पर होगी

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महत्व (Significance of Mahalaya Amavasya in Hindi)

पितृ अमावस्या के दिन ही पितरों के श्राद्ध का विधान खत्म हो जाता है. इसलिए विधि के साथ पितरों को विदा किया जाता है, इस दिन पितरों को दूध,तिल,कुशा,पुष्प मिश्रित जल से तर्पण किया जाता है.पूर्वजों के निमित्त उनकी पसंद का भोजन बनाकर कौए,गाय,कुत्ते को खिलाया जाता है. महालया पर ब्राह्मण को भोजन कराने और दान दक्षिणा देने से पितरों को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होकर पितृ लोक लौटते हैं. मान्यता है कि महालया अमावस्या पर श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है. अमावस्या पर उन पितरों का तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि की जानकारी न हो या फिर पितृ पक्ष के दौरान जिनका श्राद्ध न हो पाया हो. 

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कैसे होता है तपर्ण 

हाथ में कुशा की एक अंगूठी बनाई जाती है. साथ ही तपर्ण करने वाले व्यक्ति का मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए. अगर आप अपने पिता का तर्पण कर रहे हैं तो सबसे पहले अपने गोत्र का नाम लें, ऐसे ही बाकी पुर्वजों का भी नाम लेकर तपर्ण किया जाता है. गंगा जल, दूध, शहद, तिल इसके साथ ही तिलांजली दी जाती है. 

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां  2022 (Pitru Paksha Shradh 2022 Date)

प्रतिपदा श्राद्ध, अश्विना, कृष्ण प्रतिपदा - 10 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्णा द्वितीया - 11 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण तृतीया -12 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण चतुर्थी - 13 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण पंचमी - 14 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण षष्ठी - 15 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण सप्तमी - 16 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण अष्टमी - 18 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण नवमी - 19 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण दशमी - 20 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण एकादशी - 21 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण द्वादशी - 22 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण त्रयोदशी - 23 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण चतुर्दशी - 24 सितंबर 2022

अश्विना, कृष्ण महालया अमावस्या - 25 सितंबर 2022

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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