डीएनए हिंदीः पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू हो चुका है (Pitru Paksha 2022 Dates) इन दिनों में पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान से श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण किया जाता है. इस दौरान गया, बनारस मथुरा जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर पितरों को तारने के लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं. ऐसे में प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु वाले पितरों की आत्मा की शांति के लिए काशी के एक कुंड के पास ख़ास तरह का अनुष्ठान किया जाता है जिससे उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) के दौरान काशी में स्थित इस कुंड के पास हजारों की संख्या मे लोग पहुंचते हैं और अपने पूर्वजों की भटकती हुई आत्मा के लिए अनुष्ठान करते हैं. मान्यता है कि मोक्ष की नगरी काशी में एक खास कुंड है जहां पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान, श्राद्ध (Shradh 2022) व तर्पण इत्यादि किया जाता है.
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इस कुंड पर खास अनुष्ठान से मिलता है पितरों की आत्मा को मुक्ति (Pishach Mochan Kund)
काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है यहां पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं. मान्यता है कि काशी के चेतगंज थाने के पास स्थित पिशाच मोचन कुंड के पास पूर्वजों को अकाल मृत्यु और प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए विशेष अनुष्ठान किया जाता है. इस कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को अकाल मृत्यु व प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है. इस कुंड का उल्लेख गरुड़ पुराण में भी मिलता है. देश भर में अकाल मृत्यु और प्रेत योनि से मुक्ति के लिए पिशाच मोचन कुंड में ही त्रिपिंडी श्राद्ध होता है जिससे पूर्वजों की भटकती हुई आत्मा को मुक्ति मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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