डीएनए हिंदीः पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है (Pitru Paksha 2022). हिंदू धर्म में श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए श्राद्ध कर्म करना हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य माना जाता है. माना जाता है कि श्राद्ध कर्म करने से ही पितृ संतुष्ट होकर परिवार को सुख, स्वास्थ्य और वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. ऐसे में पितरों का श्राद्ध (Shradh) नहीं करने से व्यक्ति के जीवन में पितृदोष (Pitra Dosh) जैसी समस्याएं पैदा होती हैं जिसकी वजह से व्यक्ति घोर दुख भोगता है. इसलिए अगर आप धन की कमी या किसी अन्य परिस्थिति के कारण पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हैं तो शास्त्रों में वर्णित इन उपायों (Shradh 2022) को करके आप पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं और पितृदोष से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं.
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शाक-सब्जी से करें श्राद्ध, लाख गुना ज्यादा मिलेगा फल
कहा जाता है पितरों का श्राद्ध पूरे विधि-विधान से स्वादिष्ट भोजन बनाकर भोज व दान करके करना चाहिए. पद्म पुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध नही कर सकता है तो इस स्थिति में व्यक्ति शाक-सब्जी से श्राद्ध कर पितरों को प्रसन्न कर सकता है.
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पद्म पुराण के अनुसार यदि व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से यथाविधि सब्जी से पितरों का श्राद्ध करता है तो पितृ वह श्राद्ध स्वीकार करते हैं. पद्म पुराण के अनुसार यदि व्यक्ति यह भी करने में असमर्थ है तो पितरों के नाम पर गाय को घास खिला सकता है.
कुछ भी न हो तो ऐसे करें श्राद्ध
शास्त्रों के अनुसार यदि आप श्राद्ध करने के लिए धन व सामग्री नहीं जुटा सकते या शाक-सब्जी और गाय के लिए घास की भी व्यवस्था नहीं कर सकते तो अपना हाथ ऊपर कर सच्चे मन से
"न मेस्ति वित्तं धनं च नान्यच्छ्राद्धोपयोग्यं स्वपितृन्न्तोस्मि।
तृप्यन्तु भकत्या पितरो मयैतौ कृतौ भुजौ वत्रमनि मारुतस्य॥”
मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस मंत्र का अर्थ है - "मेरे पास श्राद्ध के लिए उपयुक्त न तो धन है, न धान्य. अगर कुछ है तो आपके लिए केवल श्रद्धा और भक्ति है. जिसके द्वारा ही मैं आपको संतुष्ट करना चाहता हूं, इसलिए आप तृप्त हों. यह उपाय करने से पितृ तृप्त होते हैं जिससे उनका शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है."
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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