इस दिन से शुरू होंगे पितृ पक्ष, जानिए श्राद्ध पक्ष की तिथि से लेकर पिंडदान की विधि और तारीख

नितिन शर्मा | Updated:Aug 26, 2023, 03:32 PM IST

पितृ पक्ष में हर तिथि को अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए. इसे पितर दोष खत्म होता है. पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिसे हर काम में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है. 

डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म पितरों का बड़ा ही महत्व है. इस धर्म के लोग 15 दिनों तक पूर्वजों की श्राद्ध निकालते हैं. पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा से होती है. यह कृष्ण पक्ष अमावस्या तक रहती है. इस दौरान पितरों की तृप्ति और शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. ऐसा करने से ​उक्त परिवार और सदस्यों को पितृों और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. परिवार पर आने वाले संकट खत्म होते हैं. घर में सुख और शांति का वास होता है. यह हर साल आते हैं. आइए जानते हैं इस कब होगी पितृ पक्ष की शुरुआत और पिंडदान से लेकर तिथि और महत्व...

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इस दिन से होगी पितृ पक्ष की शुरुआत 

इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर को दोपहर में 3 बजकर 26 मिनट पर होगी. इस दिन पूर्णिमा तिथि और प्रतिपदा श्राद्ध का दिन है. इसके बाद आश्विन माह के कृष्णपक्ष की पहली तिथि शुरू हो जाएगी. वहीं पितृ पक्ष का समापन 15 दिन बाद यानी 14 अक्टूबर को शनिवार के दिन होगा.  

ये हैं पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष की शुरुआत से लेकर अंतिम तिथि तक श्राद्ध पूर्वजों के श्राद्ध करने का विधान होता है. जिस भी व्यक्ति के परिवार में पितरों का निधन जिस तिथि में हुआ था. इन ​15 दिनों में पड़ने वाली उसी तिथि को उनका श्राद्ध मनाया जाता है. श्राद्ध में उनके​ लिए खाना निकालने से लेकर गाय, कुत्ता को रोटी खिलानी होती है. इसके साथ पंडित और मंदिर में दान देने पर लाभ मिलता है. इसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अगर किसी को अपने पितरों के मौत वाले दिन या उसकी तिथि की जानकारी नहीं है तो अमावस्या के दिन ऐसे भी पितरों का श्राद्ध करना चाहिए. इसे पितृ दोष खत्म होता है. पितृ हर कदम पर रक्षा करते हैं. 

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पितृ पक्ष में ऐसे करें तर्पण

पितृ पक्ष की शुरुआती तिथि से लेकर अंतिम तिथि हर दिन पूर्वजों को तर्पण करना चाहिए. इसके लिए पितृों को दूध, दही,खीर हलवा और पूरी का भोग लगाने के साथ ही कुश, अक्षत जौ, काले तिल से तर्पण करना चाहिए. पितरों से अपनी गलती और भूल कीमाफी मांगनी चाहिए. पितरों  की आत्मा शांति के लिए दान करना चाहिए. भूखे को भोजना और गरीब को क्षमता अनुसान दान दें. ऐसा करने भगवान प्रसन्न होते हैं. साथ ही इन दिनों में मनुष्य को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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