Pitru Paksha 2023: श्राद्ध में किसके लिए निकाला जाता है भोजन का 5 हिस्सा, जानें क्या है इसका महत्व

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 26, 2023, 10:57 AM IST

श्राद्ध में किसके लिए निकाला जाता है भोजन का 5 हिस्सा, जानें क्या है इसका महत्व

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान कुछ पशु-पक्षियों के लिए भोजन का 5 अंश निकाला जाता है. इनके लिए भोजन का अंश निकाले बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है.

डीएनए हिंदीः हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और इसका समापन आश्विन माह के अमावस्या तिथि को होता है. इस दौरान पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान है. इस बार पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू (Pitru Paksha 2023) हो रहा है, जो कि 14 अक्टूबर को समाप्त होगा. धार्मिक मान्यताओं हैं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पितरों के निमित्त पिंडदान तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है. पितृपक्ष के दौरान कुछ कार्यों को करने से पितर पसन्न होते हैं. मान्यता है कि इस दौरान किसी भी रूप में (Pitru Paksha 2023  Date) धरती पर आते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं. इसलिए पितृपक्ष में कुछ पशु-पक्षियों को भोजन कराने का विधान है.

पितृपक्ष में किसके लिए निकाले जाते हैं भोजन के 5 अंश

पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान कुछ पशु-पक्षियों के लिए भोजन का अंश निकाला जाता है. बता दें कि पितरों के निमित्त निकाले जाने वाले भोजन के इस पांच अंश को पञ्चबलि कहा जाता है और इनके लिए भोजन का अंश निकाले बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है. भोजन का ये 5 अंश गाय, कुत्ता, चींटी. कौवों और देवताओं के लिए निकाला जाता है.

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क्या है पञ्चबलि देने का सही तरीका  

पितृपक्ष में श्राद्ध के समय सबसे पहले कंडा जलाकर भोजन से तीन आहुति दी जाती है और इसके बाद भोजन को अलग-अलग पांच अंशों में निकाला जाता है. इसके लिए गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर भोजन निकाला जाता है और कौवे के लिए एक अंश जमीन पर रख दिया जाता है और फिर प्रार्थना की जाती है कि पितर आकर भोजन ग्रहण करें और प्रसन्न होकर हमें अपना आशीर्वाद दें.

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पांच अंश भोजन का पंचतत्व से संबंध 

मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर पशु-पक्षियों के रूप में हमारे पास आते हैं और गाय, कुत्ता, कौवा और चींटियों के माध्यम से भोजन ग्रहण करते हैं. यही वजह है कि श्राद्धकर्म में पितरों के लिए आहार का 5 अंश निकाला जाता है, इसके बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है.  इसमें कुत्ता को जल तत्त्व का प्रतीक माना जाता है, चींटी को अग्नि तत्व, कौवा को वायु तत्व, गाय को पृथ्वी तत्व और देवताओं को आकाश तत्व का प्रतीक माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब हम इन पांचों के लिए भोजन का अंश निकालते हैं तो इससे हम पंचतत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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