डीएनए हिंदीः इस महीने के अंत में पितृ पक्ष शुरू हो जाएगा. पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद जब तक उसका पुनर्जन्म नहीं होता तब तक वह सूक्ष्म रूप में होता है. इस सूक्ष्म रूप की का पिंडदान हर साल पितृपक्ष में किया जाता है.
पूर्वज परिवार के सदस्यों को शुकलोक या पितृलोक से आशीर्वाद देते हैं. कहा जाता है कि अपने कुल-परिवार की पूजा, तर्पण से खुश होकर पितृ पक्ष के 15वें दिन जब अपने लोक जाते हैं तो आशीर्वाद देते हैं लेकिन जिन पूर्वजों को तर्पण नहीं मिलता वे दुखी हो जाते हैं और परिवार को श्राप देकर जाते हैं. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष से अमावस्या तिथि तक 15 दिनों की अवधि में पितरों के लिए खास रूप से पूजा होती है. इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है. इसका समापन 14 अक्टूबर महालया और सर्वपितृ अमावस्या को होगा.
पितृपक्ष कब से कब तक होगा
पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त होगा.
प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को दोपहर 3:26 बजे शुरू होगी और 30 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे समाप्त होगी.
कुरूप क्षण 11:47 अपराह्न से 12:35 अपराह्न तक
रोहिणी क्षण दोपहर 12:45 बजे से दोपहर 1:23 बजे तक
दोपहर 1:23 बजे से दोपहर 3:46 बजे तक
श्राद्ध तिथि तारीख
पूर्णिमा श्राद्ध 29 सितम्बर 2023, शुक्रवार
दूसरा श्राद्ध 30 सितम्बर 2023 शनिवार
तृतीया श्राद्ध 1 अक्टूबर 2023 रविवार
चतुर्थी श्राद्ध 2 अक्टूबर 2023 सोमवार
पंचमी श्राद्ध मंगलवार, 3 अक्टूबर, 2023
छठा श्राद्ध बुधवार, 4 अक्टूबर 2023
सप्तमी श्राद्ध 5 अक्टूबर 2023 गुरुवार
अष्टमी श्राद्ध शुक्रवार, 6 अक्टूबर, 2023
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर 2023 शनिवार
दसवां श्राद्ध 8 अक्टूबर 2023 रविवार
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर 2023 सोमवार
द्वादशी श्राद्ध 11 अक्टूबर 2023 बुधवार
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर 2023 गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार
महालया और सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध 14 अक्टूबर 2023 शनिवार
पितृपक्ष का महत्व
शास्त्रों के अनुसार यदि आप अपने पितरों को श्राद्ध और तर्पण देते हैं, तो पितर प्रसन्न होंगे और परिवार को आशीर्वाद देंगे. इनके आशीर्वाद से भी जीवन में आने वाली कई बाधाओं और समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है. लेकिन यदि आप श्राद्ध-शांति नहीं करेंगे तो आत्मा को मुक्ति नहीं मिलेगी. नियमित दान और जरूरतमंदों को खाना खिलाने से भी पितरों को शांति मिलती है. वहीं, पितृपक्ष में ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व है. इसके फलस्वरूप पितृ दोष दूर हो सकता है .
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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