Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर अमावस्या तक रहते हैं. मान्यता है कि इन 15 दिनों तक पितर पूर्वज धरती पर आते हैं. वह अपने परिवार के पास पहुंचते हैं. इस दौरान पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान करने पितर प्रसन्न होते हैं. उनकी कृपा प्राप्त होती है. इन उपायों से पितृ दोषों से भी मक्ति मिलती है. वहीं पितृपक्ष के दौरान तुलसी से जुड़े नियमों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है. पितृपक्ष के दिनों में तुलसी (Tulsi ) की पूजा के साथ-साथ कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. वहीं इस दौरान तुलसी छूना भी पितृदोष प्रकट कर सकता है. इससे पितृ नाराज हो जाते हैं. व्यक्ति को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर आप तुलसी के नियमों से अनजान हैं तो आइए जानते हैं पितृपक्ष के दौरान कैसे करें तुलसी की देखभाल और पाप से बचाव...
ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार बताती हैं पितृपक्ष के दौरान तुलसी की पूजा जरूर करनी चाहिए, लेकिन तुलसी के पौधे को छूना नहीं चाहिए. इससे पितृदोष लगता है. व्यक्ति को जीवन में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इससे बचने के लिए पितृपक्ष के दौरान इन नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जातने हैं...
तुलसी की पूजा
पितृपक्ष के दौरान तुलसी की पूजा जरूर करनी चाहिए, लेकिन पूजा वह व्यक्ति करें, जो श्राद्ध से दूर रहे. क्यों कि ऐसा करने पर पितर नाराज हो सकते हैं. वहीं इन 15 दिनों में तुलसी की पूजा न करने से भी पितृदोष लग सकता है.
तुलसी के पौधे को छूना है वर्जित
पितृपक्ष के दौरान तुलसी की पूजा अर्चना जरूर करनी चाहिए, लेकिन तुलसी का पौधा टच नहीं करना चाहिए. इसकी वजह तुलसी के पौधे को बेहद पवित्र माना जाना है. इसलिए इसे स्पर्श करने से बचें. साथ ही साफ सफाई का बेहद ध्यान रखें.
न तोड़े तुलसी की पत्तियां
पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए. पितृपक्ष में तुलसी को छूना और पत्तियों तोड़ना पाप माना जाता है. इससे पितृदोष तो प्रकट होता ही है, मां लक्ष्मी भी नाराज हो जाती हैं. ऐसे में व्यक्ति की परेशानी बढ़ सकती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.) .
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