Kashi Vishwanath Corridor: जानें, मंदिर से जुड़े ये 7 सत्य

| Updated: Dec 13, 2021, 01:05 PM IST

काशी विश्वनाथ से जुड़े 7 सत्य

इस मंदिर से दुनियाभर के शिव भक्तों की आस्था जुड़ी है, पढ़िए क्यों 12 ज्योतिर्लिगों में खास है Kashi Vishwanath Dham.

डीएनए हिंदी: 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ पर श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर की कई खासियत हैं जिनकी वजह से इसका एक खास स्थान है. कहा जाता है कि इस मंदिर में वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ मां भगवती के साथ विराजते हैं.

आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े ऐसे ही कुछ रोचक तथ्य बताने वाले हैं.

1- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है. इसके दाहिने भाग में शक्ति रूप में मां भगवती विराजमान हैं और बाएं भाग में भगवान शिव हैं. 

2- ऐसा माना जाता है कि देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है. यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और वह दोबारा मानव जीवन में नहीं आता. भगवान शिव खुद यहां तारक मंत्र देकर लोगों को तारते हैं.

3- श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं. इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं. ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है.

4- बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा दो रूप में विराजमान हैं. वह दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं और रात्रि नौ बजे जब बाबा की श्रृंगार आरती की जाती है तो वह राज वेश में होते हैं. इसीलिए शिव को राजराजेश्वर भी कहते हैं.

5- बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार हैं. 1-शांति द्वार 2-कला द्वार 3-प्रतिष्ठा द्वार 4-निवृत्ति द्वार. इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है. पूरी दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और  तंत्र द्वार भी हों.

6- बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है. इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार. तंत्र की 10 महा विद्याओं का अद्भुत दरबार, जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है.

7- मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है. इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है. इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है. यहां से प्रवेश करते ही पूर्व कृत पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं.