Lajvarta Ratna: तनाव और दुख खत्म नहीं हो रहा तो पहन लें ये रत्न, चिंताहरण माना गया है ये पत्थर

Written By ऋतु सिंह | Updated: Sep 08, 2024, 01:31 PM IST

लाजवर्त पत्थर का ज्योतिष महत्व क्या है

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह और नवरत्न के बारे में जानकारी दी जाती है. हममें से कई लोग उस ग्रह के अनुसार नवरत्न या रत्न भी धारण करते हैं. यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह नीच या अशुभ है तो उस ग्रह के अनुकूल रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. चलिए आज लाजवर्त के बारे में जानें .

प्राचीन ग्रंथों में नीलम रत्न का वर्णन मिलता है, दरअसल यह नीलम नहीं बल्कि लाजवर्त रत्न है. नीलम रत्न की चर्चा हर जगह होती है. नीलम रत्न को हम एक मूल्यवान रत्न के रूप में देखते हैं. लाजवर्त रत्न इसी नीलम रत्न की उपश्रेणी में आता है. लाजवर्त मणि को नीलम रत्न के नीचे रखा जाता है, ऐसा मत सोचिए कि लाजवर्त मणि कम श्रेष्ठ है. हालाँकि आजकल इस लापीस लाजुली का प्रयोग कम होता जा रहा है लेकिन इसके फायदे अनेक हैं और इसे एक चमत्कारी रत्न के रूप में भी जाना जाता है.

लाजवर्त मणि की उत्पत्ति कैसे हुई?

पौराणिक कथा के अनुसार लाजवर्त की उत्पत्ति बलि राजा के बालों के जूड़े से हुई थी. बलिराजा के मुकुट का एक भाग लाजवर्त मणि में भी जड़ा हुआ है. इसलिए जब आप लापीस लाजुली रत्न देखते हैं, तो वह सोने के हल्के रंगों के साथ नीले रंग का होता है. 84 रत्नों में लाजवर्त भी शामिल है. पौराणिक कथाओं के बावजूद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, लाजवर्त सल्फर युक्त सोडियम और एल्यूमीनियम सिलिकेट से बना है.

अपारदर्शी और वजन में भारी

यदि आप लाजवर्त मणि को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह रत्न अपारदर्शी है. हल्के कालेपन के साथ गहरा नीला रंग. वजन में थोड़ा भारी यह रत्न चिली, साइबेरिया, अफगानिस्तान, अर्जेंटीना, तिब्बत में पाया जाता है. लेज़वार्ट रूस में वैकाल झील के आसपास पाया जाता है. अफगानिस्तान और अर्जेंटीना का लाजवर्त महंगा होता है और फ्रांस में लाजवर्त रत्न का उत्पादन रसायनों के प्रयोग से वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है. इसलिए असली लाजवर्त कौन सा है इसकी पहचान करने के लिए किसी रत्न विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए


लाजवर्त के औषधीय उपयोग

लाजवर्त रत्न न केवल अशुभ ग्रह के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं. इसका उपयोग गुर्दे की पथरी, गुर्दे की बीमारियों, अतिरिक्त त्वचा वृद्धि, सिरदर्द, पित्त के इलाज के लिए किया जाता है. यह मनका बच्चों की हड्डियों के सूखा रोग में भी लाभकारी है. यह शरीर में नए रक्त के संचार को बढ़ाकर त्वचा को फिर से जीवंत बनाने में भी मदद करता है. इसके अलावा यह लाजवर्त पीलिया, क्षय रोग को नष्ट करने और हृदय की शक्ति को बढ़ाने में भी लाभकारी है. लाजवर्त शुद्ध हानि, त्वचा रोगों के लिए लाभकारी है. यदि किसी व्यक्ति को कोई एलर्जी है तो असली लाजवर्त धारण करना चाहिए, धीरे-धीरे रोग ठीक हो जाएगा.

लाजवर्त के ज्योतिषीय उपयोग

लाजवर्त में कई ज्योतिषीय गुण हैं. लाजवर्त को उपरत्न के रूप में धारण करने से शनि की शांति होती है और बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं. इस माला को बच्चों के गले में पहनाने से बच्चों के मन का डर दूर हो जाएगा. साथ ही इस मनके को पहनने वालों को त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुंसियों से भी राहत मिलती है. एक युवती के चेहरे पर अत्यधिक मुंहासे थे, जिसके कारण शादी में दिक्कतें आ रही थीं. उन्हें लाजवर्त और चन्द्रमणि धारण करने को दिया गया. इसके बाद महिला की भगवान में रुचि हो गई और तीन महीने में उसका 75 फीसदी मुरम कम हो गया और पांचवें महीने में उसकी शादी तय हो गई.

स्वर्णिम आकर्षक आभा से युक्त लाजवर्त

हालाँकि लाजवर्त को आजकल उपरत्न के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह एक बहुमूल्य रत्न है. जब आप लाजवर्ट खरीदें, तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह असली है. लाजवर्त को अंगूठी, लॉकेट या कंगन में पहना जाता है. लाजवर्त की सतह का रंग सुनहरा है, इसलिए यह हर तरफ से चमकता है. इसकी स्वर्णिम आभा मनमोहक है. यह सुनहरी आभा इस रत्न को अत्यधिक चमकीला बनाती है. लाजवर्त को अंगार मणि भी कहा जाता है. यदि आप आवर्धक कांच से दस गुना आवर्धन करके देखें तो आपको उसमें तांबे जैसे कण दिखाई देंगे. इस रत्न का उपयोग अंगूठी, लॉकेट, झुमके या हार बनाने में भी किया जाता है.

कैसे और कब पहनना है?

भारतीय ज्योतिष के अनुसार 8 से 15 रत्ती वजन का लाजवर्त धारण करना चाहिए. इस रत्न को चांदी में पहना जाता है और कहा जाता है कि शनिवार के दिन लाजवर्त भी धारण करना चाहिए. यदि लाजवर्त अंगूठी पहनी जाती है तो इसे मध्यमा उंगली में पहना जाता है. लाजवर्त पहनने से पहले इसे सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे तक भिगोकर रखें. इसके बाद शनिदेव के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें. शाम के समय लाजवर्त भी धारण करें.

लाजवर्त किसे धारण करना चाहिए?

जिन लोगों की कुंडली में शनि या राहु-केतु उच्च का हो वे लाजवर्त धारण कर सकते हैं. जिनकी लग्न राशि कुंभ और मकर है वे भी लाजवर्त धारण कर सकते हैं क्योंकि इन पर शनि का शासन है.
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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