Believers of Hindu-Muslim: कौन है वो कृष्ण से जुड़ा संप्रदाय जो गीता और कुरान दोनों पढ़ते हैं

Written By ऋतु सिंह | Updated: Feb 27, 2024, 01:53 PM IST

यह प्रणामों का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है जो 1692 ई. में बनकर तैयार हुआ

क्या आप किसी ऐसे संप्रदाय (Sect) के बारे में जानते हैं जो हिंदू (Hindu) और मुस्लिम (Muslim) दोनों में विश्वास करते हैं, महात्मा गांधीजी (Mahatma Gandhiji) की मां भी इस पंथ को मानती थीं.

आज आपको उस संप्रदाय के बारे में बताएंगे जो है तो हिंदु लेकिन वह गीता (Geeta) के साथ कुरान (Quran) को भी पढ़ते हैं. ये संप्रदाय परनामी या प्रणामी (Paranami or Pranami Sect) के नाम से जाना जाता है. महात्मा गांधी जी की मां पुतली बाई (Putli Bai) भी इस पंथ को मानती थीं.

गांधीजी (Gandhiji) ने अपनी आत्मकथा "सत्य के साथ प्रयोग" (Experiments with truth) में लिखा है, उनकी मां ही नहीं, वह खुद भी परनामी संप्रदाय (Parnami samprday) की शिक्षाओं से प्रभावित रहे हैं. क्या है ये परनामी संप्रदाय, किसकी आराधना करता है और किसको मानता है.


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कौन हैं परनामी संप्रदाय

ये संप्रदाय भगवान कृष्ण को सर्वोच्च मानाता है. गांधी कहते हैं ने अपनी किताब में लिखा था कि, उनका परिवार परनामी था. भले ही हम जन्म से हिंदू हैं, लेकिन मां जिस प्रणामी संप्रदाय के धार्मिक स्थल पर हमेशा जाती थीं. वहां पुजारी समान तौर पर गीता और कुरान दोनों से पढ़ता था. परनामी सात्विक जीवन, परोपकार, जीवों पर दया, शाकाहार और शराब से दूर रहने पर जोर देता था.

हिंदु-मुस्लिम संप्रदाय की धारणा 

परनामी समुदाय को निजानंद संप्रदाय भी कहते हैं. एक ऐसा समुदाय है जो भगवान "राज जी" में विश्वास करता है. उन्हें ही परम सत्य मानता है. कुछ मुस्लिम अनुयायियों ने प्राणनाथ जी को "अंतिम इमाम मेहंदी" माना और कुछ हिंदू अनुयायियों ने "बुद्ध निशकलंक कल्कि अवतार" के रूप में माना है, जिसे 1678 AD में हरिद्वार में कुंभ मेले में तय किया गया था.


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कहां-कहां है इनके अनुयायी

परनामी परंपरा का धार्मिक केंद्र पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश में पन्ना शहर में रहा है. ये संप्रदाय में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से लेकर और नेपाल में तक फैला है. वहां भी इसके अनुयायी हैं. भुलेश्वर में एक विशेष कृष्ण प्रणामी मंदिर इन भक्तों का स्वागत करता है. यहां गीता के श्लोक और कुरआन की आयतें लिखे ग्रंथों कोराधा-कृष्ण का स्वरूप देकर पूजन किया जाता है.

हर साल 12 नवंबर को होता है उत्सव

हर साल जामनगर 12 दिनों का एक बड़ा उत्सव होता है, जिसे पारायण कहते हैं. ये एक नवंबर से 12 नवंबर तक होता है और इसमें दुनियाभर से आए परनामी जुटते हैं.