Premanand Ji Maharaj: पितृपक्ष में कई ऐसी चीजें होती हैं, जिसकी सख्त रूप से मनाही होती है. इन्हीं में से एक पितृपक्ष के बीच नई चीजों की खरीददारी है. पितृपक्ष के दौरान कपड़े से लेकर सोना चांदी या कोई भी नई वस्तु खरीदने की मनाही होती है, लेकिन बहुत से लोगों को इसका पता नहीं होता है. इस पर वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज से एक भक्त ने पूछा कि आखिर पितृपक्ष में नई चीज क्यों नहीं खरीदते है. आइए जानते हैं इसकी वजह...
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने भक्त के इस सवाल का जवाब बड़े ही विस्तार से दिया है. इसमें उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष में नई वस्तुओं को खरीदने और उनका इस्तेमाल करने के दौरान हमारा ध्यान पितरों से भटक जाता है. यह चीज पितरों को कष्ट पहुंचाती है. इसके चलते व्यक्ति को कष्ट भोगने पड़ते हैं.
पितरों को समर्पित होती हैं चीजें
प्रेमानंद जी महाराज ने सवाल का जवाब देते हुए बताया कि पितृपक्ष के दौरान खरीदी गई हर चीज, चाहे फिर वह वाहन, कपड़ा या गहने ही क्यों न हो. सब चीजें पितरों को समर्पित होती हैं. इसलिए उन वस्तुओं में प्रेतों का अंश होता है. यही वजह है कि इन वस्तुओं को जीवित लोगों के द्वारा उपयोग करना सही नहीं होता. यही वजह है कि पितृपक्ष में कोई नई चीज नहीं खरीदी जाती है, जिसके चलते जौहरी से लेकर कपड़े या कार बाजार और निर्माण कारोबारी इन दिनों में खाली हाथ बैठे रहते हैं.
पितृदोष और पितृऋण का उपाय
प्रेमानंद जी महाराज से एक भक्त ने पूछा कि आखिरी पितृदोष और पितृऋण से मुक्ति के क्या उपाय हैं. जिन्हें कर इनसे छुटकारा पाया जाा सके. इस पर महाराज जी ने बताया कि जब हम भजन करते हैं नाम जपते हैं. तभी पितर प्रसन्न होते हैं. इससे न सिर्फ आपकी पितरों की भी उन्नति होती है. जिसके बाद उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं महाराज जी ने बताते हैं कि इन दिनों में धर्मानुष्ठान जैसे भागवत, गोपाल सहस्त्रनाम या जप करना बेहद शुभ होता है. इससे पितृदोष से लेकर पितृऋण से मुक्ति मिल जाती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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