प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियां इस बीमारी के चलते हुई हैं फेल, जानें इसके लक्षण और बचाव

नितिन शर्मा | Updated:Aug 12, 2023, 02:27 PM IST

प्रेमानंद जी महाराज के विचार सोशल मीडिया पर छाएं रहते हैं. उनके फैंस की संख्या करोड़ों में है. महाराज जी की 18 साल पूर्व दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी. आइए जानते हैं किस बीमारी की वजह महाराज जी को किडनी फेल्योर हुआ था. 

डीएनए हिंदी: (Premanand Ji Maharaj Kidney Disease) वृंदावन से दुनिया भर में प्रसिद्ध हुए प्रेमानंद जी महाराज अपने विचारों के लिए जाने जाते हैं. वह सुबह दो बजे परिक्रमा के लिए निकल जाते हैं. इसके बाद सुबह साढ़े चार बजे से भजन सत्संग शुरू करते हैं. प्रेमानंद जी के सत्संग और विचारों को सुनने के लोगों की भारी भीड़ जमा होती है. सोशल मीडिया पर भी उनकी वीडियों खूब देखी जाती है. महाराज की फैंस की संख्या भी करोड़ों में है. इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं प्रेमानंद जी महाराज का सत्संग सुनने के लिए अभिनेत्री अनुष्का शर्मा, क्रिकेटर विराट कोहली से लेकर सिंगर बीप्राक तक पहुंच चुके हैं. लोग बाबा की दिनचर्या ही नहीं उनकी जीवनशैली और बीमारी को देखकर दंग रह जाते हैं. इसकी वजह प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियों का खराब हो जाना है. 

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उन्हें किडनी से संबंधित बहु​त ही भयंकर बीमारी थी, जिसके चलते युवा अवस्था में ही उनकी दोनों किडनी खराब हो गई. जहां कोई आम शख्स बिना किडनी एक वर्ष भी स्वस्थ नहीं रह पाता. वहां पिछले 18 सालों से प्रेमानंद जी महाराज बिना किडनी के अपने दैनिक कार्य खुद करते हैं, सिर्फ चार घंटे की नींद लेते हैं. वृंदावन की परिक्रमा लगाने के साथ ही स्वस्थ जीवन जी रहे हैं. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर महाराज की को कौनसी गंभीर बीमारी थी कि उनकी दोनों किडनी खराब हो गई.

किडनी की इस बीमारी से जूझ रहे थे प्रेमानंद जी महाराज

दरअसल प्रेमानंद जी महाराज जी को ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज थी. एक्सपर्ट्स की मानें तो यह बीमारी जेनेटिक होती है. यह बीमारी 30 से 50 साल की उम्र में उभर जाती है. यह बीमारी किडनी की गंभीर बीमारियों में से एक होती है. यह माता पिता से बच्चों में आती है. इस बीमारी में किडनी का साइज बड़ा होने लगता है. इसमें सिस्ट यानी पानी और गांठे बन जाती हैं. यह गांठे धीरे धीरे कर बढ़ती जाती है. इसकी वजह से धीरे धीरे कर किडनी काम करना बंद कर देती है. इसे किडनी फेल्योर हो जाती है. किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है. ऐसी स्थिति में किसी भी शख्स को डायलिसिस पर ही रखना पड़ता है. 

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1000 में से सिर्फ 1 सदस्य को होती है ये बीमारी

एक्सपर्ट बताते हैं कि ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज 1000 में से सिर्फ 1 सदस्य को होती है. यह बचपन से नहीं होती. उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या पैदा होती है. अगर इसके मरीजों की बात करें तो पूरी पॉपुलेशन में ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी ​के सिर्फ 5 प्रतिशत मरीज ही पाएं जाते हैं. इस बीमारी के मरीजों का जीवन बहुत ही मुश्किल भरा हो जाता है. 

इस बीमारी में दिखते हैं ये लक्षण

ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज में पीठ और पेट के निचले हिस्से में दर्द होना शुरू हो जाता है. इसमें यूटीआई, हाथ पैरों के साथ ही आंखों में सूजन, सांस फूलने की समस्या से लेकर पाचन संबंधी गड़बड़ी होती है. खून की कमी होने लगती है. इस बीमारी में स्किन भी इफेक्ट होती है. स्किर का कलर चेंज होने लगता है. इसकी वजह से स्किन पर कालापन, अनावश्यक कमजोरी, थकान के साथ पैरों में दर्द और बार बार टॉयलेट आता है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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