Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने बताया है इन 10 आदतों की वजह से होती है परिवार में असमय मौत

Written By ऋतु सिंह | Updated: Sep 02, 2024, 02:14 PM IST

प्रेमानंद महाराज

परिवार में असमय मौत के पीछे कुछ खराब आदतें जिम्मेदार होती हैं. प्रेमानंद महाराज ने ऐसी 10 आदतों के बारे में बताया है जो मौत की वजह बनती हैं. चलिए जानें ये क्या हैं.

अकाल मृत्यु का कारण बनती हैं ये 10 आदतें कुंडली या हस्तरेखा में अकाल मृत्यु की संभावना होती है और कभी-कभी कुंडली में यह योग न होने पर भी कुछ लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है. ऐसा उनके इस जन्म के कर्मों के कारण है. भगवान ने यह शरीर लंबी आयु के लिए दिया है, लेकिन अगर लोग इस शरीर में जहर भरते रहें तो उनकी अकाल मृत्यु हो जाती है. इसी प्रकार यदि वे मानसिक एवं आध्यात्मिक पाप भी करते हैं तो भी उनकी अकाल मृत्यु हो जाती है.
 
क्या काम करने पर अकाल मृत्यु हो सकती है?
 
1. शाम के समय न करें ये काम: महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार सूर्योदय और सूर्यास्त के साथ ही 'भोजन और शारीरिक संबंध बनाने से उम्र कम हो जाती है और अकाल मृत्यु हो जाती है.' बुरी शक्तियां - सोना, खाना-पीना, शाप देना, लड़ना, अभद्र और असत्य बोलना, क्रोध करना, शाप देना, यात्रा पर जाना, शपथ लेना, शारीरिक संबंध बनाना, धन देना और लेना, रोना, वैदिक मंत्रों का पाठ करना, शुभ कार्य करना, बैठना या खड़े रहना दहलीज़ पर रहना, किसी भी तरह का हमला करना. ये सभी बुरी आदतें हैं जो समय से पहले मौत का कारण बन सकती हैं. जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में भी सोते हैं उनकी आयु भी कम हो जाती है. वहीं ब्रह्ममुहूर्त में योग, ध्यान और भजन करने वालों की उम्र बढ़ती है.
 
2. अनैतिक संबंध : 'महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को छोड़कर किसी अन्य महिला के साथ अनैतिक संबंध बनाता है या कोई महिला अपने पति को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाती है, तो यह पवित्र बंधन के साथ विश्वासघात माना जाता है. . इससे अकाल मृत्यु भी हो जाती है. अन्यथा व्यक्ति को जीवनभर मृत्युतुल्य कष्ट झेलना पड़ेगा.
 
3. साधु संतों का अपमान : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार यदि कोई जातक किसी साधु, संत, गुरु या अपने से बड़ों का अपमान करता है तो ऐसे व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. गंभीर अपराध से अकाल मृत्यु होती है.
 
4. गर्भवती महिला का अपमान: महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार, 'जो कोई भी गर्भवती महिला का अपमान करता है, उसे परेशान करता है या उसमें बाधा डालता है, उसकी अकाल मृत्यु निश्चित है.
 
5. मरे लोगों के जूते, चप्पल या कपड़े पहनना : थोर संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार, शास्त्र के अनुसार दूसरे के जूते, चप्पल या कपड़े पहनने से व्यक्ति की आयु कम हो जाती है. कई लोग अपने मरे हुए लोगों के कपड़े पहनना शुरू कर देते हैं जो कि बुरा है. ऐसी स्थिति में जीवन छोटा होने की संभावना रहती है.
 
6. विशेष तिथियों पर बुरे काम करना: महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार, 'हिंदू धर्म में जो लोग अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथि के साथ-साथ मंगलवार को भी यौन संबंध बनाते हैं, नशा करते हैं या मांस आदि खाते हैं. और गुरुवार का जीवन काल छोटा होता है. इसके साथ ही नवरात्रि और अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों पर भी ऐसे कार्य वर्जित माने गए हैं.
 
7. पवित्र स्थानों पर गंदगी करना : महान संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार, 'यदि आप नदियों, तीर्थों और अन्य पवित्र स्थानों पर गंदगी फैलाते रहते हैं या गंदा काम करते हैं, तो आपका जीवन क्षीण होने लगता है. इसलिए पवित्र स्थानों पर साफ-सफाई का ध्यान रखें और सादगीपूर्ण व्यवहार करें.
 
8. कड़वा बोलना और दूसरों का मजाक उड़ाना: संत प्रेमानंदजी महाराज के अनुसार, 'जो लोग अपनी बातों से दूसरों को दुख पहुंचाते हैं, दूसरों पर झूठा आरोप लगाते हैं, जिनका व्यवहार क्रूर होता है, वे निश्चित रूप से समाज में अपमानित होते हैं और उन्हें इस जीवन में कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है. जैसे अगले में. इसके साथ ही जो लोग दूसरों का मजाक उड़ाते हैं उन्हें जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
 
9. मन की बेचैनी : मन एकाग्र नहीं होने पर अक्सर गलत या गंदी चीजों की ओर ध्यान जाता है. ऐसे लोग अनावश्यक चीजों में अपनी ऊर्जा बर्बाद करते हैं, जिसका नकारात्मक असर उनकी उम्र पर भी पड़ता है. आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो कुछ भी करने की बजाय अक्सर अपने नाखून काटने लगते हैं, कोई भी चीज मुंह में डाल लेते हैं और बैठे-बैठे पैर हिलाने लगते हैं. प्रेमानंद जी के अनुसार ऐसे फालतू काम करने से आपकी उम्र कम हो जाती है.
 
10. नास्तिकता : आजकल नास्तिक होना फैशन बन गया है. नास्तिक होना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन लगातार दूसरे लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाना गलत है. शास्त्र के अनुसार जो लोग नियमों के विरुद्ध चलते हैं और गुरु की आज्ञा का पालन नहीं करते, उनका जीवन शीघ्र ही नष्ट हो जाता है. धर्म के विरुद्ध कार्य करना आपके लिए जीवन और परलोक में हानिकारक हो सकता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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