सनातन धर्म में भगवान की पूजा अर्चना को विशेष माना जाता है. ज्यादातर घरों में मंदिर और पूजा पाठ किये जाते हैं. यह भगवान के प्रति आभार और भक्ति समर्पण व्यक्त करने का तरीका है. इससे न सिर्फ भगवान प्रसन्न होते हैं, बल्कि व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं पूर्ण करते हैं. नियमित पूजा अर्चना करने से मन शांत रहता है. ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार बताती हैं कि जिस भी घर में देवी देवताओं और पितरों की पूजा होती है. वहां पर भगवान की कृपा दृष्टि बनी रहती है. दुख दर्द और कष्ट दूर रहते हैं. घर में सकारात्मकता का वास होता है, जिसके बल पर लोग प्रसन्न रहते हैं. इसी से उन्हें सफलता भी प्राप्त होती है. हालांकि पूजा-पाठ के विशेष नियम होते हैं. इनका पालन न करने या फिर भूल होने पर पूजा पूर्ण नहीं होती. इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
पूजा-पाठ में भूलकर भी न करें ये गलतियां (Puja Path Ke Niyam)
पूजा पाठ पवित्रता का काम यही वजह है कि अपवित्र अवस्था में भूलकर भी पूजा पाठ नहीं करनी चाहिए. इससे भगवान रुष्ट होते हैं और पूजा फल भी प्राप्त नहीं होता. यही वजह है कि पूजा अर्चना स्नान और साफ सुथरे वस्त्र धारण करने के बाद ही करें.
पूजा अर्चना में भगवान को धूप दीप देने के साथ ही फूल जरूर अर्पित करें. इससे देव और देवी प्रसन्न होते हैं. हालांकि पूजा अर्चना में बासी फूल नहीं चढ़ाने चाहिए.
पूजा में कलश या जल के लोटे को ईशान कोण में ही रखना चाहिए. साथ ही दीपक और कलश को थोड़ा दूर रखें. इन्हें एक दूसरे के नजदीक रखने से दुष्प्रभाव पड़ते हैं.
पूजा अर्चना के लिए सबसे शुभ समय सुबह या फिर शाम का होता है. दोपहर के समय पूजा करने से लाभ प्राप्त नहीं होता.
पूजा अर्चना करने बैठ रहे हैं तो ध्यान रखें कि बिना आसन के न बैठे. सीधे फर्श पर बैठने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता.
पूजा अर्चना करने बैठ रहे हैं तो ध्यान भगवान में लगाएं. बुरे विचारों को आने से रोके और मन से पूजा में बैठें. साथ ही मंत्रों का उच्चारण करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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