डीएनए हिंदी: (Things You Must Know About Pushkar Mela) राजस्थान का पुष्कर मेला सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है. पुष्कर मेले के साथ ही राजस्थान में कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. आज से पुष्कर मेले का आगाज हो चुका है जो कि 9 नवंबर तक चलेगा. पुष्कर अजमेर शहर मुख्यालय से 14 किमी की दूरी पर स्थित है. हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है. पवित्रता के प्रतीक पुष्करराज में लोग पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं और ब्रह्माजी, रंगनाथजी और अन्य मंदिरों का दर्शन करते हैं. इस दौरान यहां बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं. यहां हम आपको बता रहे पुष्कर मेले से जुड़े कुछ सवालों का जवाब जिन्हें आप भी जरूर जानना चाहेंगे.
2022 में पुष्कर मेला कब है?
इस बार यानी 2022 पुष्कर मेले का आयोजन 31 अक्टूबर से 09 नवंबर तक किया जाएगा. हर वर्ष ये मेला कार्तिक पूर्णिमा के दौरान ही आयोजित किया जाता है.
पुष्कर मेला क्यों है इतना खास?
पुष्कर मेले के दौरान बहुत कुछ खास देखने को मिलता है इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं में नृत्य, महिला टीमों के साथ-साथ पुरुषों की टीमों के बीच रस्साकशी, मटका फोड़, सबसे लंबी मूंछें की प्रतियोगिता, दुल्हन प्रतियोगिता, ऊंट दौड़ और अन्य शामिल हैं. इस दौरान इन प्रतियोगिताओं को देखने हजारों लोग पुष्कर झील के किनारे पहुंचते है, इसी झील के किनारे मेले का आयोजन किया जाता है.
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पुष्कर पवित्र क्यों है?
किंवदंती है कि जिस झील के किनारे पुष्कर मेले का आयोजन होता है वह झील ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा को समर्पित थी. कहा जाता है उनके हाथ से एक कमल घाटी में गिरा और उस स्थान पर एक झील का निर्माण हुआ.
क्यों कहा जाता है ऊंट मेला
पुष्कर में इस दौरान सबसे बड़ा ऊंट मेला लगता है, यहां जानवरों पर आधारित कई कार्यक्रम होते हैं. इस मेले का मुख्य आकर्षण ऊंट हैं, इसलिए यहां आनंद लेने के लिए विदेशी पर्यटक भी आते हैं. इस तरह के आयोजनों में राजस्थान की संस्कृति का सांस्कृतिक संगम देखने को मिलता है.
पुष्कर को तीर्थराज क्यों कहा जाता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुष्कर स्नान और दर्शन करने से सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है. यही कारण है कि तीर्थराज पुष्कर को सभी तीर्थों का राजा माना जाता है शास्त्रों में पुष्कर को पांच तीर्थों में सबसे पवित्र माना गया है. इसके अलावा पुष्कर, कुरुक्षेत्र, गया, हरिद्वार और प्रयाग को पंचतीर्थ भी कहा जाता है. पुष्कर के मुख्य बाजार के अंत में ब्रह्माजी का मंदिर स्थित है. यह पूरे विश्व में ब्रह्माजी का एकमात्र प्राचीन मंदिर है.
पुष्कर मंदिर की कहानी (Mythological story behind the Pushkar)
शास्त्रों के अनुसार वज्रानाश नाम के एक राक्षस ने पृथ्वी पर कोहराम मचा दिया असुर से सभी मनुष्य भयभीत थे. ऐसे में ब्रह्मा जी ने इस राक्षस का वध कर सभी को इससे मुक्ति दिलाई. कहा जाता है कि वज्रानाश से लड़ते हुए ब्रह्मा जी के हाथ से कुछ कमल के फूल गिरे. जिससे वहां 3 नदियों का उद्गम हुआ, तब से इस पवित्र स्थान को पुष्कर कहा जाने लगा.
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ब्रह्मा जी का मंदिर सिर्फ पुष्कर में ही क्यों है
पूरे विश्व में ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर है, इसके पीछे भी एक कथा प्रचलित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वज्रानाश राक्षस का वध करने के बाद ब्रह्मा जी ने उस स्थान पर यज्ञ करने की शुरुआत की, यज्ञ में पति-पत्नी दोनों का होना अनिवार्य था. ऐसे में ब्रह्मा जी ने अपनी पत्नी सरस्वती को यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण दिया लेकिन किसी वजह सरस्वती जी समय पर इस यज्ञ में नहीं पहुंच पाई. ऐसे में यज्ञ को पूरा करने के लिए ब्रह्मा जी ने गुर्जर सम्प्रदाय की गायत्री नाम की कन्या से विवाह कर यज्ञ को सम्पन्न किया, जब देवी सरस्वती यज्ञ में पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में एक अन्य कन्या को देखा, तो वह बहुत क्रोधित हो गईं. तब मां सरस्वती ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि पूरी दुनिया में कोई भी उनकी पूजा नहीं करेगा. इस काम में ब्रह्मा जी की मदद भगवान विष्णु ने भी की थी जिसकी वजह से देवी ने उन्हें भी श्राप दिया कि उन्हें पत्नी के अलग होने का दर्द सहना होगा, इसके बाद देवताओं ने देवी सरस्वती को बहुत समझाया तब माता ने कहा कि पूरे संसार में सिर्फ पुष्कर नाम के इस मंदिर में ही उनकी पूजा होगी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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